UN: भारत ने फिर उठाई सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग, कहा- जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा यूएनएससी

UN: भारत ने फिर उठाई सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग, कहा- जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा यूएनएससी

भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग कर रहा है। अब एक बार फिर भारत ने मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा काउंसिल (यूएनएससी) में बदलाव की मांग की है और कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में जब दुनियाभर में संघर्ष बढ़ रहे हैं, उनमें यूएनएससी पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ साबित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक उच्चस्तरीय परिचर्चा में जी4 देशों-ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से बयान देते हुए भारतीय राजदूत ने ये बात कही।

भारत के राजदूत ने उठाई मांग
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी राजदूत आर. रविंद्र ने कहा कि ‘हाल ही में वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की रक्षा करने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ है। जबकि इस वक्त दुनिया को इसकी सबसे अधिक जरूरत है। 1945 में जब परिषद की स्थापना की गई थी, इसमें बदलाव की जरूरत हर जगह महसूस की जा रही है। हम आश्वस्त हैं कि स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में अफ्रीकी प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से होना चाहिए। हम जी4 देशों के सदस्य के रूप में, अफ्रीका के लोगों की इन वैध मांगों और आकांक्षाओं का पूरी तरह से समर्थन करना जारी रखते हैं। अफ्रीका के साथ जी4 का संबंध विश्वास और आपसी सम्मान पर आधारित है और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि अफ्रीका को सुधारित बहुपक्षवाद के नए युग में अपना सही स्थान मिले।’

उन्होंने कहा कि जी4 देशों के लिए यूएनएससी के सही से काम नहीं करने की प्राथमिक वजह अफ्रीका, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों को प्रतिनिधित्व नहीं देना तथा स्थायी श्रेणी में एशिया प्रशांत क्षेत्र को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देना हैं।

पूर्व में भी ये मुद्दा उठा चुका है भारत
बीते दिनों भी भारत ने यह मुद्दा उठाया था। उस वक्त संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत आर. रवींद्र ने सुरक्षा परिषद की खुली बहस में कहा था कि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नाकाम रहने का प्रमुख कारण इसका अभी भी 1945 के पुराने नजरिये में फंसा होना है। यह सुरक्षा परिषद की संरचना में साफ दिखता है। सुधारों पर समयबद्ध बातचीत का आह्वान करते हुए, रवींद्र ने कहा, बड़े देशों या समूहों द्वारा अपने संकीर्ण हित में बातचीत प्रक्रियाओं को बाधित किया जा रहा है। यह बहुपक्षीय भावना के लिए हानिकारक है और जहां भी जरूरी हो, इसका विरोध होना चाहिए। 

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*