GST Council: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक शुरू, लिए जा सकते हैं ये फैसले

GST Council: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक शुरू, लिए जा सकते हैं ये फैसले

जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक राजस्थान के जैसलमेर में शुरू हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह बैठक हो रही है। निर्मला सीतारमण और राज्य समकक्षों से मिलकर बनी यह समिति जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर दरों को कम करने का निर्णय ले सकती है। लेकिन बड़े पैमाने पर दरों को तर्कसंगत बनाने, जिसमें हानिकारक वस्तुओं कर की दर बढ़ाना शामिल है, पर निर्णय स्थगित किया जा सकता है।

जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित मंत्री समूह ने अपनी सिफारिशों में 148 वस्तुओं की दरों में बदलाव का प्रस्ताव किया था। लेकिन सूत्रों की ओर से कहा जा रहा है कि पैनल की ओर से सुझाए गए कुछ कर परिवर्तनों पर आम सहमति बनाने की जरूरत है और इसके लिए कुछ और समय की जरूरत हो सकती है।

हवाई जहाज के ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने पर होगी चर्चा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में एयरलाइन उद्योग की परिचालन लागत के एक प्रमुख घटक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को माल व सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है।

स्विगी और जोमैटो जैसे खाद्य वितरण प्लेटफार्मों पर जीएसटी दर को वर्तमान 18 प्रतिशत (आईटीसी के साथ) से घटाकर 5 प्रतिशत (इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना) करने का प्रस्ताव है। हालांकि, फिटमेंट समिति (जिसमें केंद्र और राज्यों के कर अधिकारी शामिल हैं) ने प्रयुक्त इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ छोटे पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री पर कर की दर को मौजूदा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। सूत्रों के अनुसार, इस बढ़ोतरी से पुरानी छोटी कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर पुराने बड़े वाहनों के बराबर हो जाएंगे।

इसके अलावा, जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जून, 2025 तक छह महीने का विस्तार मिलने की संभावना है। क्षतिपूर्ति उपकर व्यवस्था मार्च, 2026 में समाप्त हो जाएगी। जीएसटी परिषद ने उपकर का भविष्य तय करने के लिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में मंत्रियों का एक पैनल गठित किया है।

क्षतिपूर्ति उपकर पर भी लिया जा सकता है बड़ा फैसला

जीएसटी व्यवस्था में, विलासिता, पाप और अवगुण से जुड़े वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर के अलावा विभिन्न दरों पर क्षतिपूर्ति उपकर लगाया जाता है। उपकर से प्राप्त आय, जिसे मूल रूप से जीएसटी लागू होने के बाद पांच साल या जून 2022 तक के लिए नियोजित किया गया था, का उपयोग जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया गया।

परिषद के एजेंडे में एक प्रमुख मुद्दा स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी दर तय करना है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में परिषद द्वारा गठित मंत्री समूह ने नवंबर में अपनी बैठक में टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए भुगतान किए जाने वाले बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति जताई थी।

इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों की ओर से स्वास्थ्य बीमा पर भुगतान किए गए प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव है।

जीएसटी के तहत बीमा कराधान पर अंतिम निर्णय शनिवार को होने की संभावना है, क्योंकि अधिकांश राज्य प्रीमियम पर कर कम करने के पक्ष में हैं। परिषद के समक्ष एक अन्य प्रमुख विषय जीएसटी दर युक्तिकरण पैनल की रिपोर्ट है, जिसमें 148 वस्तुओं में दर में बदलाव का सुझाव दिया गया है।

हानिकारक वस्तुओं पर जीएसटी दर 28% से बढ़ाकर 35 करने का सुझाव

जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित मंत्री समूह ने इस महीने की शुरुआत में परिषद के समक्ष अपनी सिफारिश प्रस्तुत करने का निर्णय लिया था, जिसमें वातित पेय पदार्थों, सिगरेट, तंबाकू और संबंधित उत्पादों जैसे हानिकारक वस्तुओं पर कर को वर्तमान 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया था।

जीएसटी के अंतर्गत 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार स्तरीय कर दरें जारी रहेंगी तथा मंत्रिसमूह द्वारा केवल हानिकारक वस्तुओं के लिए 35 प्रतिशत की नई दर प्रस्तावित की गई है। बिहार के उपमुख्यमंत्री के नेतृत्व में दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित मंत्रियों के समूह ने परिधानों पर कर दरों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव भी रखा। निर्णय के अनुसार, 1,500 रुपये तक की लागत वाले रेडीमेड कपड़ों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि 1,500 रुपये से 10,000 रुपये तक की लागत वाले कपड़ों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

10 से अधिक के परिधानों पर चुकाना पड़ सकता है 28 प्रतिशत जीएसटी

10,000 रुपये से अधिक कीमत वाले परिधानों पर 28 प्रतिशत कर लगेगा। वर्तमान में 1,000 रुपये तक के परिधानों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि इससे अधिक कीमत वाले परिधानों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। मंत्री समूह ने 15,000 रुपये प्रति जोड़ी से अधिक कीमत वाले जूतों पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा।

इसके अलावा 25,000 रुपये से अधिक मूल्य की कलाई घड़ियों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया। उन्होंने कहा, “दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए पैनल ने जिन 148 वस्तुओं का सुझाव दिया है, उनमें से कुछ पर कल की बैठक में निर्णय लिया जा सकता है।”

एक अधिकारी ने कहा, “लेकिन दरों में कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है।” करों को तर्कसंगत बनाने के बारे में उनके विचार और क्या वह इसके पक्ष में हैं, के बारे में पूछे जाने पर तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा, “कर प्रणाली अधिक लचीली होनी चाहिए और लोगों पर बोझ नहीं होनी चाहिए। हम कल अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।”

20 लीटर से अधिक के बोतलबंद पानी पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव

मंत्री समूह ने 20 लीटर और उससे ज़्यादा के पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने और 10,000 रुपये से कम कीमत वाली साइकिलों पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। साथ ही, एक्सरसाइज़ नोटबुक पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था।

कुल मिलाकर, दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित मंत्रिसमूह ने जीएसटी परिषद को 148 वस्तुओं में कर दरों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। एक अधिकारी ने पहले कहा था, “दरों में बदलाव का शुद्ध राजस्व प्रभाव सकारात्मक होगा।” एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के संबंध में परिषद द्वारा समयसीमा पर विचार-विमर्श करने तथा राज्यों के बीच आम सहमति बनाने की संभावना है।

जब 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, जिसमें एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य शुल्कों को शामिल किया गया था, तो पांच वस्तुओं- कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) को जीएसटी कानून में शामिल किया गया था, लेकिन यह निर्णय लिया गया था कि बाद में इन पर जीएसटी के तहत कर लगाया जाएगा।

Bureau Report

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