जालंधर: यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) की एक कोर्ट ने पंजाब के 10 युवाओं को एक पाकिस्तानी की हत्या के लिए सजा-ए-मौत सुनाई है। पिछले वर्ष दिसंबर में अल ऐन शहर में अवैध शराब की बिक्री को लेकर हुए विवाद के बाद ये हत्या की गई थी। इस हत्या के एक आरोपी को पुलिस ने 2 लाख रुपए जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। इन भारतीय युवाओं के परिवारवालों ने केंद्र और राज्य सरकार से इन्हें वापस भारत लाने की गुहार लगाई है।
परिवार के सदस्यों ने आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं से मुलाकात की थी। लड़कों के घरवाले पंजाब राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी) कमीशन के पास भी पहुंचे थे, लेकिन कुछ नहीं हो सका। हत्या के दोषी लड़कों के घरवालों ने दुबई के एक बिजनेसमैन सीपी सिंह ओबराय से गुहार लगाई गई है। सीपी ओबेराय सजा-ए-मौत पा चुके भारतीय लोगों को बचाने के लिए एक कैंपेन चलाते हैं।
ओबेराय अब तक पंजाब और हरियाणा के 17 युवाओं को ऐसे मामलों में बचा भी चुके हैं। सीपी ओबरॉय ने बताया कि उन्होंने अबु धाबी के हाईकोर्ट में अर्जी डाल दी है। ओबरोय ने कहा कि वह आखिर तक केस को लड़ेंगे और हो सका तो जान गंवाने वाले शख्स के परिवार को सहायता राशि देकर केस को खत्म करने की भरपूर कोशिश करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि यूएई के कानून के हिसाब से अगर मृतक का परिवार सहायता राशि लेने के लिए तैयार हो जाता है तो फिर केस खत्म हो सकता है।
जिन 11 लोगों को दोषी पाया गया है, उनका नाम हरप्रीत सिंह, अजय कुमार, सतमिंदर सिंह, चंद्र शेखर, हजेंद्र, कुलविंदर सिंह, धर्मवीर सिंह, तारसेम सिंह, गुरप्रीत सिंह, जगजीत सिंह और टोनी है। ये सभी लड़के वहां प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, राज मिस्त्री और बढ़ई का काम करते थे।
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