जयपुर: हाईकोर्ट की ओर से गुर्जरों को दिए जाने वाले एसबीसी आरक्षण को निरस्त करने के बाद अब गुर्जर आरक्षण समिति की ओर से राज्य सरकार को आरक्षण मामले में निर्णय करने के लिए सात दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। समिति ने मामले में उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इधर, सरकार ने मामले में मजबूती से पक्ष रखने की बात कही है।
सचिवालय में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी, सामान्य प्रशासन मंत्री हेमसिंह भड़ाना की उपस्थिति में एसबीसी आरक्षण सघर्ष समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर एसबीसी आरक्षण के संबंध में हाईकोर्ट के निर्णय के बाद उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की गई।
बैठक में विधायक मानसिंह गूर्जर, महाधिवक्ता एन.एम. लोढ़ा, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, गृह सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक, कार्मिक विभाग के प्रतिनिधि सहित एसबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधि कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला, हिम्मत सिंह एवं एडवोकेट शैलेन्द्र सिंह व अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे। दोनों पक्षों के बीच अब 22 दिसंबर को फिर से चर्चा होगी।
एसबीसी आरक्षण समिति की ओर से कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि राज्य सरकार को मामले में सात दिन में अपना पक्ष साफ करने की बात कही गई है। बैठक में स्पष्ट कहा है कि सरकार एसबीसी का स्टेट्स यथावत रखें अन्यथा हम वहीं करेंगे, जो करते आए हैं। समिति के हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार से अगर कानून बनाने में गलती हुई है तो उसमें सुधार करें, पहले भी कानून बदले गए हैं।
बैठक के बाद पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में आरक्षण को यथावत रखने के लिए एसएलपी लगा दी गई है। इसकी सुनवाई 20 दिसम्बर को प्रस्तावित है। एसबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण को यथावत रखने के लिए स्थगन लेने के लिए हर संभव प्रयास राज्य सरकार करेगी।
Bureau Report
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