बांसवाड़ा: पंचायतीराज राज्य मंत्री धनसिंह रावत ने गुरुवार को जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अफसर अरबी घोड़े हैं। इन पर सवारी कर ऐसा चाबुक मारो कि ये सही दिशा में समय के साथ चलें। मंत्री रावत ने जिले में भ्रष्टाचार एवं सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही का जिक्र करते हुए अफसरों को चेताया है कि वे रवैया सुधार दें।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना का जिक्र करते हुए कहा कि जिला परिषद् सीईओ कानून के पचड़े में न पड़ें। प्रधान-विधायक ने जो अनुशंसा की है वो कार्य करें। यदि नियम बदलवाने हैं तो वो भी हो जाएगा। हम डार्क जोन में भी बदलाव करवा चुके हैं।
वागड़ की धरती पर बाहर के जितने भी अधिकारी आते हैं वे यहां से करोड़ों रुपए डकार कर चले जाते हैं और कहते है कि बांसवाड़ा बहुत अच्छा है। यहां पैसे खाने को मिलते हैं तो अच्छा ही होगा। केशवबाड़ी में मंजूरी मेरे सांसद होते तत्कालीन कलक्टर एटरू ने जारी नहीं कराई, जिसके बाद कलक्टर को गेट आउट कर दिया था।
ग्राम पंचायतों के सचिव वारे-न्यारे कर रहे हैं। यहां का गरीब चार-चार बार सरपंच रहने के बाद भी टापरी में ही रहता है। अधिकारी ब्लेकमेल कर यहां के लोगों की भावनाओं से खेलते हैं। निकम्मे अफसर बख्शे नहीं जाएंगे। वागड़ को चारागाह न समझें।
वन विभाग व टीएडी की लापरवाही से अटके वनाधिकार के पट्टों पर कहा कि ये अधिकारी फोटो के नाम पर टालमटोल कर रहे हैं। गर्म पानी में पांव डालते हैं तो चमड़ी उधड़ जाती है, दोनों विभागों के अधिकारी सुन लें 31 दिसंबर तक ये काम नहीं हुआ तो दोनों को जिले से बाहर भेज दूंगा।
पैसा एक्ट को समझें। एक्ट में इतनी ताकत है कि पानी भी पीने से पहले अधिकारी पूछ कर पीयेंगे। ऐसे में इसका अध्ययन करें। गढ़ी प्रधान लक्ष्मणलाल की ओर से तवज्जो नहीं देने की बात पर रावत ने कहा कि अक्ल नहीं होगी तो कोई नहीं पूछेगा।
पुलिस भी बहुत से मामलों में गड़बड़ी करती है। एफआईआर में मनमर्जी से दस-दस नाम लिख देते हैं। नाम हटाने के लिए पांच-पांच, दस हजार रुपए लेते हैं। फिर पुलिस वाले हमारे पास आकर सेल्यूट मारते हैं और मिठाई लेकर आ जाते हैं। थानेदार भाजगेड़ा कर रहे हैं। पुलिस का यह काम नही चलेगा।
Bureau Report
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