वाशिंगटन: अमरीकी निर्वाचित-राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूं ही एच-1बी वीजा की समीक्षा और सख्ती की बात नहीं कर रहे हैं। भारतीय आईटी प्रोफेशनल के लिए अमरीका पहली पसंद है। कंपनियों में जबरदस्त पैकेज, विकल्पों की विविधता, आईटी फ्रेंडली माहौल भारतीय युवाओं को अमरीका की ओर खींच रही है।
यही वजह है कि पिछले एक दशक में डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय युवा एच-बी1 वीजा के तहत यूएस में काम करने पहुंचे हैं। यूएसए के इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट के तहत एच-1बी गैर अप्रवासी वीजा है।
यह अमरीकी नियोक्ताओं को विशेष व्यवसायों में अस्थायी विदेशी कर्मचारी रखने की अनुमति देता है। कंपनियां इसी विशेष प्रावधान के तहत भारतीय या अन्य विदेशियों को नौकरी देती हैं।
पिछले कुछ सालों से खासकर आईटी के क्षेत्र में भारतीय प्रोफेशनल ने अपना सिक्का जमाया है। न्यूयॉर्क में ही ऐसी कई अमरीकी कंपनियां और स्टार्टअप हैं, जिनके प्रमुख पदों पर भारतीय हैं और अमरीकी उनके अंडर में काम कर रहे हैं।
यूएस में भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार भी दस लाख करोड़ से ज्यादा का है। ऐसे में यदि एच-1बी वीजा की समीक्षा का सख्ती होती है तो भारतीय तो मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
तमिलनाडु से आए कंप्यूटर इंजीनियर महेश रामानुजम 18 साल से अमरीका में हैं। कई कंपनियों में सीओओ, सीईओ आदि पदों पर काम करने के बाद अब वे यूएस ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल में दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। उनके प्रोजेक्ट भारत में भी हैं।
न्यूयार्क के द हब में स्टार्टअप ब्लॉक पावर के 32 बरस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थॉमस जॉर्ज केरल से हैं। जॉर्ज कहते हैं न्यूयॉर्क के सामने भी तीन चुनौतियां हैं – ट्रैफिक, बिजली की खपत और प्रदूषण। उनकी कंपनी बिजली उपयोग के तौर-तरीके में बदलाव के लिए काम कर रह
Bureau Report
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