जयपुर: शिक्षा विभाग तीन माह से जिस योजना का गुणगान कर रहा है, वह बीएड छात्रों की जेब पर भारी पड़ रही है। राज्य में 913 बीएड कॉलेजों के 1.5 लाख से अधिक अभ्यर्थियों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य कर सरकार ने न सिर्फ 750 करोड़ रुपए बचाए बल्कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी दूर कर ली। लेकिन, इससे दोहरी मार पड़ने के कारण बीएड छात्र परेशान हैं।
बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र 4 माह और प्रथम वर्ष के छात्र एक माह के लिए स्कूलों में जाकर इंटर्नशिप कर रहे हैं। सरकार का स्पष्ट आदेश है कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, इन छात्रों को इंटर्नशिप के लिए उन्हीं स्कूलों में लगाया जाएगा। ऐसे में इन अभ्यर्थियों को दूरदराज स्कूलों तक पहुंचने के लिए प्रतिदिन 100 से 150 रुपए किराया खर्च करना पड़ रहा है।
यूं समझें गणित, छात्र और खर्च
कुल कॉलेज : 913
दोनों साल में कुल प्रवेशित छात्र : 1.5 लाख
सरकार के लिए अतिरिक्त अध्यापक उपलब्ध हुए : 50 हजार से अधिक
प्रति अध्यापक प्रतिमाह खर्च : 30 हजार
बीएड छात्रों के नि:शुल्क शिक्षण से सरकार को बचत : 750 करोड़
प्रति छात्र औसत खर्च बढ़ा : 1500 रुपए
सभी छात्रों का कुल खर्च : 60 करोड़ रुपए
राज्य में बीएड में दोनों साल में कुल डेढ़ लाख छात्र हैं। इनमें द्वितीय वर्ष में पहुंचे 80 हजार को चार माह तक ट्रेनिंग करनी है। इस पर प्रतिछात्र प्रतिमाह अतिरिक्त औसत खर्च 1500 रुपए हो रहा है। वहीं प्रथम वर्ष के 70 हजार छात्रों का एक माह का औसत खर्च 1500 रुपए होगा।
शिक्षा विभाग के आंकलन के मुताबिक इस प्रक्रिया से 50 हजार से अधिक शिक्षक मिलेंगे। ये पांच माह तक निशुल्क पढ़ाएंगे। पचास हजार शिक्षकों का न्यूनतम प्रति शिक्षक 30 हजार रुपए वेतन मानें तो मासिक वेतन के रूप में 150 करोड़ की बचत होती है। पांच माह में यह आंकड़ा 750 करोड़ होता है।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने पिछले साल बीएड दो वर्ष की कर दी थी। इससे फीस 27 से बढ़कर 54 हजार हो गई। हॉस्टल, यूनिफॉर्म, टूर का खर्च भी दोगुना हो गया। एेसे में बीएड 1.25 लाख की बजाय 2.5 लाख में हो रही है। इस बीच इंटर्नशिप के चलते बढ़ा खर्च भी उनका बजट बिगाड़ रहा है। कई छात्रों को कर्ज लेना पड़ रहा है।
इंटर्नशिप से सर्वाधिक परेशानी छात्राओं को हो रही है। प्रतिदिन बसों से आने-जाने के कारण पांच माह में 10 हजार रुपए खर्च हो जाएंगे जबकि बीएड कोर्स पहले ही दो साल का हो चुका है।
इंटर्नशिप के दौरान विद्यार्थियों को स्टाइपेंड मिलना चाहिए। सभी विद्यार्थी बच्चों की कक्षाओं में जा रहे हैं और बतौर शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इतनी राशि तो मिलनी ही चाहिए कि आवागमन का खर्च निकल जाए।
Bureau Report
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