जयपुर: एएसपी आशीष प्रभाकर ड्राइवर सीट पर थे और उनका सिर स्टेयरिंग पर टिका था। जबकि प्रभाकर की गोद में महिला का सिर रखा था। यह देखकर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए। दोनों की कनपटी पर गोली का निशान था और दोनों गोलियां कार को भेदती हुई बाहर निकल गई थी। परिजन भी समझ नहीं पा रहे कि आखिर यह कैसे हो गया।
इधर, आशीश प्रभाकर ने आरपीए में दस माह की ट्रेनिंग के बाद एक दिसंबर को ही एटीएस ज्वॉइन की थी। उन्होंने गोपालपुरा बायपास पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने के लिए कोचिंग सेंटर भी खोला था।
पुलिस के मुताबिक कार में आशीष प्रभाकर का मोबाइल बज रहा था। वह लो बैटरी भी दिखा रहा था। पुलिस की सूचना पर एटीएस अधिकारियों ने प्रभाकर के मोबाइल पर सम्पर्क किया था।
कॉल रिसीव नहीं होने पर अधिकारियों के निर्देश पर गांधीनगर में रहने वाले एटीएस के इंस्पेक्टर मनीष शर्मा मौके पर पहुंचे। उन्होंने ही कार और आशीष की पहचान की।
एएसपी प्रभाकर चौधरी के आत्महत्या करने से एटीएस के मुखिया उमेश मिश्रा, कमिश्नर संजय अग्रवाल सहित एसओजी और कमिश्नरेट के तमाम आला अफसर मौके पर पहुंच गए। हर कोई हैरान था कि आखिर जो शाम को हंसी-खुशी गया था, वह इतना आत्मघाती कदम उठा सकता है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और राजस्थान एटीएस ने मार्च 2014 में जयपुर और जोधपुर में एक साथ कार्रवाई कर इण्डियन मुजाहिदीन (आईएम) मॉड्यूल का खुलासा किया था।
इसमें आईएम का सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और बम मेकर वकास और जयपुर, जोधपुर और सीकर से कई लोग गिरफ्तार हुए थे। इस मामले का अनुसंधान आशीष प्रभाकर ने किया था। कुख्यात आनंदपाल के गिरोह के कुछ गुर्गे पकडऩे में भी अहम भूमिका रही थी।
Bureau Report
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