नईदिल्ली: वैसे तो साफ है कि नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए नोटों को जमा करने की समय-सीमा 30 दिसंबर को खत्म हो रही है, लेकिन बैंक से और एटीएम से लिमिटेड कैश निकालने की समय सीमा थोड़ी और बढ़ सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए, ‘बैंकों से लिमिटेड कैश निकालने की पाबंदी रातों रात खत्म नहीं हो सकती, जबतक कि बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में कैश ना हो।’
उन्होंने कहा, ‘बैंक के पास यदि कैश है तो बैंक देगा, लेकिन यदि पैसा ही ना हो तो हम देने में मजबूर होंगे चाहें बंदिश हो या ना हो, जितना भी बैंक के पास उपलब्ध कैश होगा वो हम जरुर देंगें।’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए में नोटों की नोटबंदी के बाद सरकार ने चेक के माध्यम से बैंक से 24,000 रुपए प्रति व्यक्तिप्रति सप्ताह की निकासी और एटीएम से 2500 रुपए निकालने की अनुमति दी है।
भट्टाचार्य ने एटीएम से कैश निकालने की लिमिट पर बढ़ाने का भी समर्थन किया। आरबीआई की तरफ से बार-बार बदल रहे नियमों पर उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी की जो कार्रवाई है उसका कोई रोडमैप नहीं है। लास्ट टाइम 1978 में हुआ था। उस समय जो अमाउंट सर्कुलेश में थी, वह कम थी। नोटबंदी के बाद परिस्थिति किस तरह से बदलेगी इसका अंदाजा नहीं था, इसलिए आरबीआई को बार-बार अपना नियम बदलना पड़ रहा है।’
उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी की वजह से ईएमआई जरूर कम होगी। हालांकि यह भी साफ कर दिया कि क्रिससम तक या तुरंत ऐसा होने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि सिस्टम में तरलता बढ़ रही है। मांग-आपूर्ति के साधारण सिद्धांत के हिसाब से भी ईएमआई घटेगी।
Bureau Report
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