जिन्होंने हाथ-पैर काटे, बेटी से दरिंदगी की, अब उन्हीं के साथ दलित नेता AAP में शामिल

जिन्होंने हाथ-पैर काटे, बेटी से दरिंदगी की, अब उन्हीं के साथ दलित नेता AAP में शामिलमानसा : पंजाब चुनाव से ठीक पहले दलित नेता बंत सिंह झब्बर को आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल किया गया है। उनके साथ उन लोगों को भी पार्टी की मेंबरशिप दी गई, जिन्होंने कभी बंत सिंह की बेटी से दरिंदगी की थी और बाद में बंत सिंह के हाथ-पैर भी काट दिए थे। 

 – रविवार को मानसा के गोशाला भवन में आप के पंजाब प्रभारी संजय सिंह ने बंत सिंह की पार्टी में ज्वॉइनिंग कराई। 
– व्हीलचेयर पर आए बंत सिंह मंच पर नहीं चढ़ सके, इसलिए संजय ने स्टेज से उतरकर उन्हें पार्टी की सदस्यता दी।

– स्टेज पर हरबिंदर सिंह और नवदीप सिंह को भी पार्टी की मेंबरशिप दी गई। 
– ये दोनों वही लोग हैं, जिन्होंने 2000 में बंत सिंह की बेटी के साथ दरिंदगी की थी। बंत सिंह ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया तो उनके दोनों हाथ और एक पैर काट दिए थे। 
– बंत सिंह केस वापस ले लें, इसके लिए काफी कोशिश भी की थी। लेकिन बंत सिंह ने लड़ाई जारी रखी और दोनों को सजा दिलाई। 
– अब हरबिंदर और नवदीप 7 साल की सजा पूरी कर चुके हैं। नवदीप जाट महासभा का पदाधिकारी भी है।

– लिबरेशन पार्टी छोड़कर आए बंत सिंह ने कहा, “ये बात अलग है कि मेरी बेटी की जिंदगी खराब करने वाले भी अब आम आदमी पार्टी में हैं, लेकिन मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।” 
– “अब मेरी लड़ाई ने नई करवट ले ली है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा भी दिन आएगा।”

 – “संजय सिंह के साथ मंच पर खड़े हरबिंदर सिंह ने बाद में बताया कि पार्टी को उन्हें लेकर कोई एतराज नहीं है।”

– दूसरी ओर, संजय सिंह ने कहा, “उन्हें हरबिंदर और नवदीप के बारे में जानकारी नहीं थी। इसलिए इस मामले की जांच की जाएगी।”

 – मजहबी सिख बंत सिंह की बेटी पर ऊंची जाति के लोगों ने जब जुल्म किया तो पंचायत, रिश्तेदारों व दोस्तों ने उन्हें चुप रहने की सलाह दी। लेकिन बंत ने लड़ाई का रास्ता चुना। 
– हाथ-पांव गंवाने पड़े, पर डटे रहे। कई जत्थेबंदियों ने देशभर में धरने शुरू किए। इसके बावजूद बंत की आवाज दबी रह गई। 
– दोषियों को जेल पहुंचाने के बाद उनके स्ट्रगल पर निरुपमा दत्त ने एक किताब लिखी- ‘द बैलड ऑफ बंत सिंह’, जो 21 जनवरी 2015 को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रिलीज हुई। 
– फेस्टिवल में बंत सिंह ने कहा, “मुझे शारीरिक अपंगता का कोई गम नहीं। संघर्ष मेरा जीवन है और इसे संघर्ष से ही जिऊंगा।” इसके बाद उन्हें दुनिया जानने लगी।

Bureau Report

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