जयपुर: गहरी नींद में थे कि अचानक तेजी से झटका लगा। गडग़ड़ाहट की आवाज हुई। उछल कर सामने की बर्थ से जा टकराए। इसके बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया। कुछ संभले तो पूरे कोच में चीख पुकार मची हुई थी और अधिकांश यात्री कराह रहे थे। एक बारगी तो लगा मानो मौत सामने खड़ी है लेकिन दैवीय कृपा से वे बच गए।
यह आपबीती सुनाई सियालदह अजमेर ट्रेन से सम्मेद शिखर की यात्रा कर लौट रहे भीलवाड़ा निवासी एक परिवार के सदस्यों ने।
ट्रेन में भीलवाड़ा के राजपूत कॉलोनी निवासी महेन्द्र पाटोदी, उनकी मां अंजना देवी, पत्नी निरजंना तथा बहन किरण व बेगूं निवासी जीजा जम्बू कुमार लौट रहे थे। सभी सकुशल हैं। महेन्द्र पटोदी (59 ) सबसे ऊपरी बर्थ पर सोए हुए थे। वे उछल कर सामने वाली बर्थ से टकराकर नीचे आ गिरे। घटना में उनके एक हाथ में फ्रेक्चर हो गया। उनकी मां अंजना देवी (75) नीचे वाली बर्थ पर सो रही थी। वे भी उछल कर सामने जा टकराई।
चारों तरफ मची थी चीख पुकार
जयपुर आ रही महिमा जैन ने बताया, हम सब सो रहे थे कि अचानक जोर का झटका लगा और सब सीटों से नीचे गिर गए। बाहर देखा तो ट्रेन पटरी तोड़ते हुए अलग खड़ी थी। हमारी तो जान ही सूख गई। चारो तरफ चीख पुकार मची हुई थी। सब ट्रेन से उतरकर इधर-उधर भाग रहे थे। बस मुझे पीठ में थोड़ी से चोट आई लेकिन ईश्वर की कृपा से परिवार सुरक्षित है। स्थानीय प्रशासन और रेलवे ने हमें उपचार देकर कानपुर पहुंचाया और अब हम सब स्पेशल टे्रन से कई यात्रियों के साथ जयपुर के लिए रवाना हो गए हैं।
अंधेर में तलाश रहे थे एक दूसरे को
पारसनाथ स्टेशन से जयपुर आ रही ममता जैन ने बताया कि चारो तरफ अंधेरा था। हम सब सो रहे थे कि अचानक हम लोग गिर पड़े। गिरते ही हादसे का अंदेशा हो गया। हम परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। एक दूसरे को तलाशने लगे। हमारा कोच एस-8 पलट चुका था। सब ठीक थे लेकिन हमारे मामा अशोक जैन को सिर में चोट आई और पैर भी फ्रेक्चर हो गया।
यहीं 24 को लगा था इमरजेंसी ब्रेक
इसी रेलमार्ग पर लखनऊ से नई दिल्ली के लिए चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ने ठीक इसी स्थान पर आकस्मिक ब्रेक का इस्तेमाल किया था। लखनऊ से नई दिल्ली के लिए यात्रा कर रहे एमएनआईटी के डॉ.विवेकानंद ने बताया कि ट्रेनकरीब दो घंटे की देरी से चली लेकिन जैसे ही रूरा रेलवे स्टेशन के इस पुल को पार करने लगी, बहुत तेज आवाज आने लगी।
तो कोच की डिजाइन ने बचाई जान
रेलवे की कोच डिजाइनिंग ने यात्रियों की जान बचा ली, वरना यह हादसा पटना-इंदौर एक्सप्रेस की घटना दोहरा सकता था। रेलवे के एक इंजीनियर ने बताया कि यह कोच आईसीएफ के जरूर थे लेकिन यह षट्कोणीय थे। कोच की एंटी टेलीस्कोपिंग डिजाइन के कारण एक कोच दूसरे में नहीं घुसे और सभी यात्री बच गए। यह हादसा पटना-इंदौर से कम नहीं है।
अजमेर के थे 391 यात्री, सब सलामत
ट्रेन में अजमेर के लिए 391 यात्री बैठे थे। इसके अलावा इस ट्रेन में जयपुर के भी 419 यात्री थे। दुर्घटना में 60 यात्री घायल हो गए इनमें से अजमेर का कोई यात्री नहीं है। अलबत्ता राजस्थान के 15 यात्री घायल हुए। दुर्घटना की सूचना मिलते ही अजमेर रेलवे स्टेशन के प्रथम श्रेणी द्वार पर हेल्प लाइन काउंटर प्रारंभ किया गया है।
आए 400 यात्री
अजमेर-सियालदाह 23.35 घंटे की देरी से जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची। दहशत से उबरे रेलयात्रियों के चेहरे पर इसकी चमक साफ दिखाई दे रही थी। ट्रेन में 400 यात्री हादसे के बाद यात्रा कर रहे थे।
प्रदेश के चोटिल यात्री…
प्रदेश के जख्मी यात्रियों में राजेश सुथार, शीला, दीपिका, डूंगरपुर, राम सिंह, धनाक्या- जयपुर, महेंद्र जैन, भीलवाड़ा, वंदना मंडल, सुभाष चौक-जयपुर, किरन जैन, अंजना देवी, सुभाष नगर-भीलवाड़ा, रामा दास, टोंक, ममता जैन, जयपुर, अशोक जैन-जयपुर शामिल हैं।
चार ट्रेनें रद्द, तीन का बदलेगा मार्ग
उत्तर मध्य रेलवे पर हादसे के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे की चार रेलगाडि़यों को रद्द कर दिया गया है और तीन का मार्ग बदल दिया है।
रद्द रेल सेवाएं
गाड़ी संख्या 13007 हावड़ा-श्रीगंगानगर एक्सप्रेस 29 दिसंबर
गाड़ी संख्या 13008 श्रीगंगानगर-हावड़ा एक्सप्रेस 31 दिसंबर
गाड़ी संख्या 12396 अजमेर-राजेन्द्रनगर एक्सप्रेस 29 दिसंबर
गाड़ी संख्या 12988 अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस29 दिसंबर
12307 हावड़ा-जोधपुर एक्सप्रेस और 12987 सियालदाह-अजमेर एक्सप्रेस 27 दिसंबर को चलकर परिवर्तित मार्ग चेओकी-मानिकपुर-झांसी-आगरा कैन्ट-बांदीकुई होकर आएगी।14853 वाराणसी-जोधपुर एक्सप्रेस 28 दिसंबर को आने वाली ट्रेन परिवर्तित मार्ग वाया कानपुर सेन्ट्रल-कानपुर अनवरगंज-फर्रूखाबाद-मथुरा जंक्शन-अछनेरा-भरतपुर होकर संचालित की जाएगी।
Bureau Report
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