नईदिल्ली: ‘लाइफलाइन एक्सप्रेस’ में पहली बार मुंह के कैंसर का इलाज किया जा रहा है। चाय की दुकान लगाने वाले मध्य प्रदेश के 52 वर्षीय हीरालाल लोधी पिछले दो साल से ट्यूमर के दर्द से परेशान हैं। जब उन्हें पता चला कि चलता-फिरता अस्पताल स्वयं उनके गांव के नजदीक खड़ा है, तो वे वहां पहुंचे। डॉक्टरों ने उनकी अवस्था देखते हुए तुरंत भर्ती किया और इलाज शुरू किया। कैंसर की एडवांस स्टेज से गुजर रहे हीरालाल के ट्यूमर की सर्जरी कर दी गई है, जिसे सफल बताया जा रहा है। 5 जनवरी 2017 को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल पाएगी।
20 किमी. दूर से इलाज के लिए आए
हीरालाल चाय की दुकान से महीने में सिर्फ 700 रुपए ही कमा पाते हैं। ऐसे में जब उन्हें मुंह के कैंसर की शिकायत हुई तो वे जबलपुर के एक अस्पताल गए। 20,000 रुपए खर्च होने के बाद उन्हें पता चला कि इलाज में अभी बहुत पैसे लग सकते हैं। ऐसे में वे थक-हार गांव वापस लौट आए। जब उनके मित्र ने उन्हें लाइफलाइन एक्सप्रेस के बारे में बताया तो वे पीपरी कला गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर सतना में इलाज कराने के लिए पहुंचे।
1.3 लाख की सर्जरी
अभी तक इस मेडिकल ट्रेन पर करीब 1.3 लाख इलाज और सर्जरी हो चुकी हैं। शुरुआत में इस ट्रेन में सिर्फ तीन ही कोच थे, अब संख्या बढ़कर सात हो चुकी है।
यह इलाज भी संभव
ट्रेन के नए आधुनिक कोचों में अब ओरल, ब्रेस्ट और सरवाइकल कैंसर के सर्जरी से संबंधित उपकरण भी लगा दिए गए हैं।
1991 में शुरू हुई थी मेडिकल ट्रेन
रेलवे ट्रेक पर मोबाइल अस्पताल का ये प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे ने 1991 में शुरू किया था। पिछले 25 सालों से यह ट्रेन वालंटियर डॉक्टरों की टीम के साथ भारत के दूर-दराज ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को मेडिकल सुविधा पहुंचाती है। ट्रेन भारतीय रेलवे, इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन और टाटा मेमोरियल अस्पताल के संयुक्त प्रयास से चलाई जा रही है। इस मेडिकल ट्रेन का लक्ष्य ऐसे दूरस्थ इलाकों में मेडिकल सुविधा पहुंचाना था जहां पर अस्पतालों की सुविधा नहीं है। ऐसे में यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सौगात साबित हुई है।
Bureau Report
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