लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद बड़े स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। प्रदेश में 20 बड़े अधिकारियों के तबादले किए गए है, जिनमें से 9 अधिकारी एेसे हैं जिन्हें अब तक कोर्इ विभाग नहीं दिया गया है। इन्हीं में से एक अधिकारी हैं डाॅ. हरिआेम।
डाॅ. हरिआेम का नाम आते की 10 साल पुराना वो किस्सा याद आ जाता है जब वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर उन्होंने जेल भेज दिया था। उस घटना की गूंज संसद तक में सुनार्इ दी थी। डाॅ. हरिआेम को अभी तक कोर्इ विभाग न देना भी उसी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल, 23 जनवरी 2007 को गाेरखपुर में सांप्रदायिक तनाव फैला आैर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने धरना देने का एेलान कर दिया। उस वक्त गोरखपुर में कर्फ्यू लगा हुआ था। इस कारण से वहां के तत्कालीन डीएम डाॅ. हरिआेम ने योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में घुसने से रोक लिया। हालांकि योगी लगातार गोरखपुर में घुसकर धरना देने की बात पर अड़े रहे। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
एक प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने बताया था कि वे योगी को गिरफ्तार करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन योगी के दबाव के कारण उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। यहां तक की वे योगी को गिरफ्तार करने के बाद सर्किट हाउस में रखना चाहते थे लेकिन योगी ने जेल में रखने की जिद की।
इसके बाद अगले 11 दिन योगी आदित्यनाथ के जेल में गुजरे। गोरखपुर जिला जेल से निकलकर जब योगी उस घटना के बाद पहली बार संसद पहुंचे थे तो वे उस घटना का जिक्र करते वक्त रो पड़े थे। योगी ने उस घटना के बाद संसद में सवाल उठाया था कि किसी सांसद को बिना किसी क्रिमिनल आॅफेंस के 11 दिन तक कैसे जेल में रखा जा सकता है।
डाॅ. हरिआेम को उस घटना के 24 घंटे में सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि उनका सस्पेंशन एक सप्ताह में बहाल किया गया। इसी के बाद कहा जाने लगा कि वे मुलायम सिंह यादव के नजदीकी हैं। इन सारी बातों के अलावा डाॅ. हरिआेम ने शेरो शायरी के शौकीन हैं आैर कर्इ मुशायरों में अपनी गजलों आैर कविताआें को पेश कर चुके हैं।
Bureau Report
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