नर्इदिल्ली: अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीका को पेरिस क्लाइमेट डील से अलग करने का फैसला लिया है। ट्रम्प ने अपने इस फैसले के समर्थन में जो दलील दी है उसके मुताबिक भारत आैर चीन जैसे देशों पर इस डील में कोर्इ सख्ती नहीं की गर्इ है। हम आपको बता दें कि 2015 में हुए इस समझौते पर 195 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
इस डील से अमरीका को अलग करने के फैसले के बाद ट्रम्प ने कहा है कि मैं इस डील को सपोर्ट कर अमरीका को सजा नहीं दे सकता हूं। ट्रम्प का दावा है कि इस क्लाइमेट डील के जरिए भारत आैर चीन जैसे देशाें को कर्इ तरह की सहूलियतें दी गर्इ हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने इस डील को ‘चीनी छल’ करार दिया था।
ट्रम्प ने कहा है कि इस डील के जरिए भारत को कोयला उत्पादन दोगुना करने की इजाजत मिल जाएगी। इस डील को लेकर उन्होंने यहां तक कह दिया है कि इसका पर्यावरण से कोर्इ लेनादेना नहीं है।
इस डील का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन कम करना था। इसके जरिए हर देश का कार्बन उत्सर्जन का टारगेट तय कर ग्लोबल टेम्परेचर को 2 डिग्री से ज्यादा बढ़ने से रोकने की कोशिश करना था। बराक आेबामा के अमरीकी राष्ट्रपति रहते हुए ये डील की गर्इ थी। ट्रम्प के इस निर्णय की आेबामा के साथ ही दुनिया के कर्इ देशों ने निंदा की है।
हम आपको बता दें कि अमरीका दुनिया का करीब 33 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करता है। इस डील को गति देने के लिए देशों को पांच सालों का प्लान देना था, जिसमें उन्हें ये बताना था कि कैसे वे कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं आैर कैसे क्लाइमेट चेंज को रोक सकते हैं?
Bureau Report
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