38 करोड़ महंगा हुआ डॉक्टर-इंजीनियर बनने का ख्वाब

38 करोड़ महंगा हुआ डॉक्टर-इंजीनियर बनने का ख्वाबकोटा: देश के कोने-कोने से कोचिंग करने कोटा आने वाले स्टूडेंट्स को डॉक्टर-इंजीनियर बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए ज्यादा फीस चुकानी पड़ेगा। दरअसल, जीएसटी एक जुलाई से लागू होने जा रहा है। कोचिंग संस्थानों को इसके दायरे में लेते हुए 18 फीसदी स्लैब श्रेणी में शामिल किया है। 

एेसे में कोचिंग इंडस्ट्री पर जीएसटी की मार पूर्व में लागू सर्विस टैक्स से ज्यादा होगी। इसे स्टूडेंट्स को ही चुकाना पड़ेगा। इससे पूर्व अभी तक कोचिंग संस्थानों पर 15 फीसदी सर्विस टैक्स लागू था। कोचिंग स्टूडेंट्स को औसतन एक लाख रुपए फीस पर 15 हजार रुपए सर्विस टैक्स के रूप में चुकाने पड़ते हैं।

पडऩे वाले बोझ को ऐसे समझें 

कोचिंग संस्थान की फीस औसतन एक लाख रुपए होती है। सर्विस टैक्स 15 हजार रुपए था, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद तीन हजार रुपए प्रति विद्यार्थी बोझ बढ़ जाएगा। यानी एक लाख रुपए औसतन फीस पर 18 हजार रुपए जीएसटी लागू होगा। 

कोटा में हर वर्ष करीब 1 लाख 25 हजार विद्यार्थी पढऩे आते हैं। एक लाख रुपए प्रति विद्यार्थी के हिसाब से 1250 करोड़ रुपए फीस जमा होती है। कोचिंग संस्थान 15 फीसदी यानी 187 करोड़ रुपए सर्विस टैक्स के रूप में जमा कराते हैं। जीएसटी के बाद 225 करोड़ रुपए जमा कराने पड़ेंगे, यानी 38 करोड़ का अतिरिक्त बोझ विद्यार्थियों पर पड़ेगा।

ऐसे पड़ेगा जीएसटी का असर

कोटा में करीब 1 लाख 25 हजार स्टूडेंट अध्ययनरत

1 लाख रुपए प्रति वर्ष कोचिंग की औसतन फीस 

15 हजार रुपए पहले सर्विस टैक्स शामिल

1.25 लाख विद्यार्थी एक साल में करीब 1250 करोड़ रुपए फीस जमा कराते हैं

187 करोड़ सिर्फ सर्विस टैक्स

18 फीसदी के जीएसटी स्लैब में आई कोचिंग इंडस्ट्री 

1 लाख रुपए फीस में अब 18 हजार रुपए टैक्स

3 हजार रुपए प्रति विद्यार्थी बोझ बढ़ा

38 करोड़ का अतिरिक्त बोझ और पड़ेगा

5 से 15 प्रतिशत तक पहुंचा सर्विस टैक्स

साल 2003 में कोचिंग संस्थानों को सर्विस टैक्स के दायरे में लाया गया, उस समय इसकी दर 5 प्रतिशत  थी। समय के साथ बढ़ते हुए यह 12.36 फीसदी तक पहुंच गया। वर्ष 2015 में  सर्विस टैक्स 14 प्रतिशत और फिर 15 प्रतिशत तक पहुंच गया।  यानी एक लाख रुपए फीस में 15 हजार रुपए सर्विस टैक्स लगने लगा। 

क्या है जीएसटी, कब से लागू होगा

जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स है। आसान शब्दों में कहें तो जीएसटी पूरे देश के लिए इन डायरेक्ट टैक्स है, जो भारत को एक जैसा बाजार बनाएगा। 1 जुलाई से जीएसटी देशभर में लागू होना है। 17 साल की कवायद के बाद जीएसटी इसलिए लाया गया क्योंकि अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। 

जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में करीब सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। जीएसटी को केंद्र और राज्यों के 17 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले में लागू किया जा रहा है।  इससे एक्साइज ड्यूटी, सेल्स टैक्स, वैट, एंट्री टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।

सामान्य शिक्षा के समकक्ष हो कोचिंग

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट निदेशक, नवीन माहेश्वरी ने कहा कि कोटा देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत पूरी कर रहा है। इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए होने वाली इस पढ़ाई को भी सरकार को सामान्य शिक्षा के समकक्ष मानना चाहिए। जीएसटी में औसतन एक लाख रुपए शुल्क पर 18 हजार रुपए तक टैक्स देना पड़ेगा। यदि यह खर्च बचता है तो विद्यार्थी की अन्य जरूरतें पूरी हो सकेंगी।

सरकार फिर करे विचार

गोरखपुर से अभिभावक अजय कुमार ने कहा कि कोचिंग को जीएसटी के दायरे में लाने के निर्णय पर फिर विचार करना चाहिए। अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा डॉक्टर इंजीनियर बने, लेकिन कॉम्पीटिशन इतना बढ़ गया है कि कोचिंग काफी जरूरी है। यदि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो कोचिंग से तैयारी करना तो कठिन होगा। 

अभिभावकों पर बोझ उचित नहीं

कोलकाता से अभिभावक शशि बाला सिंह ने कहा कि सरकार एक आेर तो शिक्षा और विकास का नारा देती है, दूसरी ओर सर्विस टैक्स और जीएसटी लगाकर अभिभावकों की जेब पर बोझ डालती है। यह उचित नहीं है। कोचिंग को कर मुक्त करना चाहिए। कोटा कोचिंग में हर वर्ष हजारों डॉक्टर एवं इंजीनियर तैयार होते हैं।

Bureau Report

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