जयपुर: राजस्थान में अवैध हथियार मिलना उतना ही आसान है, जितना मुश्किल वैध हथियार का लाइसेंस मिलना। राजस्थान में हर महीने औसतन 490 से 500 अवैध हथियार पुलिस पकड़ती है। इन हथियारों में से साठ प्रतिशत से ज्यादा अवैध तरीके से मध्य प्रदेश से लाए जाते हैं। एमपी का खमनोर और धार इलाका इसके लिए बदनाम है। राजस्थान पुलिस की मानें तो वहां पर पांच सौ से दो हजार रुपए में देसी कट्टा या तमंचा उपलब्ध हो जाता है। वैध और अवैध हथियारों के बारे में मानवाधिकार आयोग ने भी राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
प्रदेश में 512 लोगों पर एक लाइसेंसी हथियार
लाइसेंसी हथियारों का टशन भी प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते तेजी से अपराध भी बढ़ाए हैं, साथ ही पुलिस की परेशानी भी। प्रदेश में हर साल आठ से दस हजार नए लोग हथियारों के लाइसेंस ले रहे हैं। आवेदन करने वालों की संख्या तो बहुत ज्यादा है, लेकिन सरकार लाइसेंस उन्हीं लोगों को दे रही है, जिनको इसकी सख्त जरूरत है। इसके बाद भी हालात ये हैं कि प्रदेश में हर 512वें व्यक्ति के पास अपना हथियार है। राजस्थान में वर्तमान में 1,33,968 लोगों के पास अपने लाइसेंसी हथियार हैं।
तीन साल में 17,570 हथियार
राजस्थान पुलिस ने प्रदेश भर से साल 2014 से 2016 तक 17,570 हथियार बरामद किए हैं। हथियारों के साथ ही कारतूस भी बड़ी संख्या में मिले हैं। जिन लोगों की गिरफ्तारी की गई है वे अधिकतर छोटे तस्कर हैं, जो हथियारों की डिलेवरी देने जाते समय गिरफ्तार हुए हैं। पुलिस रिकॉड्र्स इस ओर इशारा कर रहे हैं कि हर साल अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ रही है। साल 2014 में 5232 मामले तस्करी के सामने आये थे। 2015 में ये बढ़कर 5894 हो गए और पिछले साल बढ़कर 6444 तक जा पहुंचे। इस साल शुरुआती दो महीनों में ही हथियार तस्करी के 1158 से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
प्रदेश के 11 जिलों गुपचुप बनते हैं हथियार
राजस्थान के भी 11 जिले ऐसे हैं जहां पर या तो हथियार बनते हैं या फिर यहां अन्य राज्यों से मंगाकर उनको जमा किया जाता है और फिर सप्लाई होती है। सबसे बदनाम झालावाड़ जिला है। फिर भरतपुर, धौलपुर, करौली, चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर, दौसा और राजसमंद जैसे जिले आते हैं। इन जिलों में गुजरे बारह साल में पुलिस ने जहां छापे मारे हैं जहां पर छोटे या बड़े स्तर पर हथियार बनते हैं।
Bureau Report
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