पालने में आया मूक-बधिर को साढ़े तीन साल बाद मिले अमरीकी मां-बाप, गोद लेकर अपने साथ ले गए विदेश

पालने में आया मूक-बधिर को साढ़े तीन साल बाद मिले अमरीकी मां-बाप, गोद लेकर अपने साथ ले गए विदेशउदयपुर: एमबी चिकित्सालय के पालने में 17 जनवरी 2014 में आए मूक-बधिर को साढ़े तीन वर्ष के बाद मां-बाप मिल गए, वे भी विदेशी। अंतरराष्ट्रीय दत्तक माता-पिता उसे अपने साथ अमरीका के अल्बाना स्टेट के लिए रवाना हुए।

जनवरी 2014 में बाल कल्याण के आदेश से इस बच्चे को महेशाश्रम शिशुगृह में प्रवेशित कराया गया था। बालक के होठ एवं तालू भी शिशु अवस्था में कटे होने से ऑपरेशन के जरिये ठीक करवाए गए थे।

वर्तमान में यह बालक नारायण सेवा संस्थान की ओर से संचालित मूक-बधिर गृह में था। बाल कल्याण समिति के सदस्य बी.के.गुप्ता ने बताया कि मासूम को विदेशी दम्पती ने गाइड-लाइन के तहत ऑनलाइन आवेदन कर पसन्द किया। मासूम को दत्तक ग्रहण में लेने वाले पिता मि.जस्टिन एवं माता तारा ईवोय बालक का पाकर अति गौरान्वित महसूस कर रहे थे। पिता जस्टिन एक केमिस्ट इंजीनियर है एवं दत्तक पुत्र को भी वो इंजीनियर बनाने का सपना रखते हैं।

इस परिवार में इनके स्वयं के दो जैविक पुत्रियां है एवं एक पुत्र को उन्होंने पूर्व में मुम्बई भारत से दत्तक ग्रहण में लिया था। इसीलिए वह दूसरा बालक भी भारत से ही लेना चाह रहे थे।

नारायण सेवा संस्थान की निर्देशिका वन्दना अग्रवाल ने बताया कि यह मासूम उनके आंगन में एक महकते फूल के समान था एवं सभी उसको प्यार से चाहते थे जिसकी कमी सदा उन्हें महसूस होगी। सुपुर्द करने की कार्रवाई बाल कल्याण समिति के सदस्य सुशील दशोरा, हरीश पालीवाल एवं बीके गुप्ता के निर्देशन में पूरी की गई। मासूम की दत्तक माता-पिता की सुपुर्दगी में नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल, महेशाश्रम के मुख्य समन्वयक एसएल धर्मावत एवं संस्थान के कार्मिक उपस्थित थे।

Bureau Report

 

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