गाजासिटी: बीते शुक्रवार को इजराइल में शुक्रवार को तीन फलस्तीनी हमलावरों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें दो इस्राइली पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई थी. हमलावर इजराइल के मुस्लिम नागरिक थे. इसके बाद एक अतिसंवेदनशील पवित्र स्थल को बंद कर दिया गया. माना जा रहा है कि पिछले 50 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब इजराइल सरकार ने मुस्लिमों के तीसरे सबसे बड़े पवित्र स्थल को बंद किया हो. हमास ने उस धार्मिक स्थल को बंद किए जाने को ‘धार्मिक युद्ध’ करार दिया है जिसे मुस्लिम नोबेल सैंक्चुअरी और यहूदी टेम्पल माउंट कहते हैं.
उग्रवादी हमास शासकों ने हमले के कारण इजरायल के एक धार्मिक स्थल के बंद होने के बाद फलस्तीनियों से यरूशलम में इजरायली बलों पर हमले का आह्वान किया है. हमास के प्रवक्ता फावजी बरहौम ने फलस्तीनी ‘विद्रोह’ से इजरायली सेना और पश्चिमी तट पर बस्तियों में रहने वालों को निशाना बनाने का आह्वान किया है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी. हमास ने इस हमले का जश्न मनाने के लिए एक रैली भी निकाली थी. मुस्लिम प्रशासित इस धार्मिक स्थल के प्रति मुस्लिम और यहूदी दोनों गहरी आस्था रखते हैं.
यरूशलम में हमले के बाद सुरक्षा बलों ने शनिवार (15 जुलाई) यहां के पुराने शहर इलाके में कई जगहों पर घेराबंदी कर दी और एक अतिसंवेदनशील पवित्र स्थल को बंद कर दिया गया. बीते शुक्रवार (14 जुलाई) को तीन अरब इजरायली हमलावरों ने इजरायल पुलिस के समूह पर गोलीबारी की और निकट ‘हरम अल शरीफ’ में भाग गए जहां पुलिस ने उनको मार गिराया. हमले में दो पुलिसकर्मी मारे गए. इजरायली अधिकारियों ने कहा कि वे इस पवित्र स्थल से आए थे और हमले को अंजाम दिया. यहीं पर अल अक्सा मस्जिद भी है. प्रशासन ने जुमे की नमाज के लिए अल-अक्सा मस्जिद को बंद कर दिया जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय और जॉर्डन ने नाराजगी जताई. जॉर्डन इस स्थान की देखभाल करता है.
Bureau Report
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