नईदिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती का राज्यसभा से इस्तीफा स्वीकार हो गया है. राज्यसभा में नहीं बोलने देने से नाराज मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. बसपा सुप्रीमो संसद के मानसून सत्र में सहारनपुर हिंसा पर बोलना चाहती थीं. उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर खुद को नहीं बोलने देने का आरोप लगाया था.
वह इस्तीफे के सिलसिले में दोबारा उपराष्ट्रपति से मिली थीं. वहां पर उन्होंने एक लाइन का इस्तीफा उनको दिया. उसके बाद इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया. दरअसल इससे पहले राज्यसभा के सभापति ने मायावती का इस्तीफा तीन पेज का होने के कारण पहले स्वीकार नहीं किया था. इसलिए मायावती को दूसरी बार एक लाइन में अपना इस्तीफा तयशुदा रूप में देना पड़ा, जिसको स्वीकार कर लिया गया.
मायावती के राज्यसभा में नहीं बोलने देने के आरोप के बाद मंगलवार को काफी हंगामा मचा था. इस पर विपक्षी दल भी माया के साथ आ गए थे. बुधवार को राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने मायावती से अपना इस्तीफा वापस लेने की अपील की थी. सभापति ने कहा कि सदन की इच्छा है कि मायावती अपना इस्तीफा वापस लें. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला बरकरार रखा.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा में सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा के मुद्दे पर आसन द्वारा उनको पूरी बात कहने की अनुमति नहीं दिये जाने के कुछ ही घंटों बाद उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. मायावती ने मंगलवार शाम राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मिलकर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया.
उन्होंने त्यागपत्र देने के बाद कहा, ‘मैंने त्यागपत्र सौंपने के लिए सभापति से मुलाकात की. यह अच्छी बात नहीं है कि मेरे लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में बोलने नहीं दिया गया. जब मैं बोलने के लिए खड़ी हुई तो सरकार ने मेरी बात पूरी नहीं होने दी. उनके सदस्य खड़े हो गये और हस्तक्षेप करने लगे. यह अच्छी बात नहीं है.’
Bureau Report
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