नर्इदिल्ली: डोकलाम विवाद काे लेकर भारत-चीन के बीच विवाद बना हुआ है। अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट ने चौंका दिया है। शुक्रवार को संसद में पेश कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि चीन से लगती सीमा सहित देश के छह स्थानों पर मिसाइल रक्षा प्रणाली लगार्इ जानी थी लेकिन एक भी स्थान पर इसे इंस्टाॅल नहीं किया जा सका है। इस लेट-लतीफी के साथ ही कैग ने मिसाइल आकाश के निर्माण को लेकर भी सवाल उठाए हैं।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक जमीन से आसमान में मार करने वाली पूरी तरह से देसी मिसाइल आकाश के 30 फीसदी परीक्षण जो कि अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए वे नाकाम रहे थे। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि आकाश की क्वालिटी कमजोर नजर आर्इ। आकाश मिसाइल का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने किया है। कैग का कहना है कि इसके लिए 3600 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक 6 में से एक भी स्थान पर इसे लगाया नहीं जा सका है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने खतरों काे देखते हुए 2010 में वायुसेना के लिए ‘एस’ सेक्टर में मिसाइल प्रणाली तैनात करने का फैसला किया था। इस प्रणाली को जून 2013 से दिसंबर 2015 के बीच तैनात करने की योजना थी, लेकिन चार साल के बाद भी यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी है। वहीं अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए करीब सात साल हो चुके हैं आैर इसके लिए करीब 95 फीसदी भुगतान भी किया जा चुका है।
आकाश को 2008 में पहली बार सेना में शामिल किया गया। आकाश आैर उसका नया संस्करण एमके-2 दुश्मन के विमानों आैर मिसाइलों को करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर मार गिराने के मकसद से डिजाइन किया गया है।
सशस्त्र बलों में 52 हजार जवानों की कमी
रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि सशस्त्र बलों में 50 हजार जवानों की कमी है। उन्होंने बताया कि सेना में 25472, वायुसेना में 13785 आैर नौसेना में 13373 जवानों की कमी है।
Bureau Report
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