PM मोदी का म्‍यांमार दौरा: नेपीता- गगनचुंबी पैगोडा वाला यह शहर आखिर खामोश क्‍यों है?

PM मोदी का म्‍यांमार दौरा: नेपीता- गगनचुंबी पैगोडा वाला यह शहर आखिर खामोश क्‍यों है?नेपीता: म्‍यांमार आजकल कई वजहों से सुर्खियों में हैं. दरअसल एक बड़ी वजह यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी, चीन में ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के समापन के बाद म्‍यांमार जाएंगे, वहीं दूसरी ओर इस देश के अल्‍पसंख्‍यक रोहिंग्‍या मुसलमानों का पलायन अंतरराष्‍ट्रीय सुर्खियों का सबब बना है. इस मामले में तो नोबेल पुरस्‍कार विजेता मलाला यूसुफजई ने म्‍यांमार की नेता आंग सांग सू की से चुप्‍पी तोड़ने की अपील की है. सू की को भी नोबेल शांति पुरस्‍कार मिल चुका है. कमोबेश इसी तरह की खामोशी म्‍यांमार की राजधानी नेपीता ने भी अख्तियार कर रखी है. तकरीबन 50 वर्षों तक इस देश पर शासन करने वाली सेना के जनरलों ने इस शहर को यंगून की जगह 2006 में देश की राजधानी बनाया था. 

यह शहर यंगून से तकरीबन 320 किमी दूर है. दरअसल माना जाता है कि सैन्‍य तानाशाही को लगता था कि यंगून बाहरी हमलों के लिहाज से बहुत सुरक्षित नहीं है. इसलिए उन्‍होंने इसको राजधानी तो बना दिया लेकिन जनता के जेहन में यह शहर राजधानी के रूप में कभी हावी नहीं हो पाया. इसलिए यह अपनी व्‍यापकता, खूबसूरती और यंगून से भी बड़े पैगोडा के लिए तो जाना जाता है लेकिन यहां की आबादी बहुत कम है. सरकारी प्रयासों के बावजूद बहुत बसावट नहीं हुई, सो यहां की लंबी-चौड़ी सड़कें सूनी हैं और शहर पूरी तरह से खामोश है.

साझा अतीत

दरअसल भारत के लिहाज से म्‍यांमार दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है. एक दौर में भारत का हिस्‍सा रहे म्‍यांमार के साथ हमारे सदियों पुराने ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक संबंध हैं. औपनिवेशिक दौर में 19वीं सदी में तीन आंग्‍ल-बर्मा युद्ध के बाद यह ब्रिटिश भारत का एक प्रांत बन गया. उस दौर में म्‍यांमार को बर्मा कहा जाता था और इसकी राजधानी रंगून थी. रंगून को अब यंगून कहा जाता है. गुलामी के उस दौर में 1857 के प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम के बाद हिंदुस्‍तान के अंतिम मुगल बादशाह को निर्वासन के तहत यंगून ही भेजा गया था. उसके बाद उनका हिंदुस्‍तान लौटना कभी नसीब नहीं हुआ और अब यंगून में उनकी मजार है. कमोबेश उसी तरह हार के बाद बर्मा के अंतिम शासक को भी भारत के रत्‍नागिरी भेज दिया गया. उनको भी दोबारा अपने मुल्‍क लौटना मयस्‍सर नहीं हुआ. इस तरह दोनों शासक अपने मुल्‍कों में वापस कभी नहीं लौट पाए.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*