बिहार: जदयू पर कब्जे की लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच गई है. शरद यादव गुट पहले ही चुनाव आयोग में असली जदयू होने का दावा कर चुका है. शुक्रवार को नीतीश समर्थक नेताओं ने भी चुनाव आयोग में खुद को असली जदयू साबित करने के लिए शपथपत्र सौंपा. शरद और नीतीश गुट की बात सुनने के बाद अब चुनाव आयोग ये फैसला करेगा कि जदयू किसकी पार्टी है.
जदयू में मचा घमासान अब चुनाव आयोग के दर पर पहुंच गया है. दोनों ही धड़े खुद के असली जदयू होने का दावा कर रहे हैं. पहले शरद यादव गुट ने चुनाव आयोग से मिलकर असली जदयू होने का दावा किया और शुक्रवार को नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह और ललन सिंह ने वकील के साथ आयोग में दस्तक दी. नीतीश धड़े ने अपने समर्थन में दस्तावेज़ भी चुनाव आयोग को सौंपे.
नीतीश समर्थक नेता के सी त्यागी के मुताबिक पार्टी के मौजूदा 71 में से सभी 71 विधायक, 30 में से सभी 30 एमएलसी, 2 में से सभी 2 लोकसभा सांसद और 9 में से 7 राज्य सभा सांसद ,नीतीश के साथ हैं. यही नहीं त्यागी के दावे के मुताबिक पार्टी के 90 फीसदी से ज्यादा पदाधिकारियों का शपथ पत्र भी चुनाव आयोग को दिया गया कि वो नीतीश के साथ हैं.
नीतीश धड़ा अब पूरी ताकत से शरद यादव की राज्य सभा सदस्यता रद्द करने में भी जुट गया है. पार्टी ने राज्य सभा चेयरमैन को पहले ही पत्र सौंप दिया है कि 27 अगस्त की लालू की रैली में जाकर शरद यादव ने पार्टी विरोधी काम किया है लिहाज़ा संविधान के 10 वें शेड्यूल के मुताबिक उनकी सदस्यता रद्द होने चाहिए.
वहीं शरद यादव के करीबी अरुण श्रीवास्तव ने एक बार फिर दोहराया कि नीतीश ने पार्टी छोड़ी है और शरद यादव धड़ा ही असली जदयू है.
अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है जो आने वाले दिनों में अपना फैसला सुना देगा कि जदयू किसकी पार्टी है. वैसे समाजवादी पार्टी के इसी तरह के मामले को नज़ीर मानें तो नीतीश का दावा ज्यादा मज़बूत नज़र आ रहा है.
Bureau Report
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