नईदिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार और नगर निगमों से सवाल किया कि अगर आप अपने स्कूलों से कचरा नहीं हटा सकते तो आप किस तरह की शिक्षा देंगे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने कहा, ‘‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कचरे को एकत्रित करने, उसे हटाने और उसका निस्तारण करने की जिम्मेदारी दिल्ली के नगर निगम की है जो एमसीडी अधिनियम के तहत कार्य करती है.’’ पीठ में न्यायमूर्ति सी हरि शंकर भी शामिल थे. पीठ ने नगर निगमों को डांट लगाते हुए कहा कि निराशाजनक रूप से वे अपने काम को करने में असमर्थ हैं.
पीठ ने कहा, ‘‘शहर में साफ-सफाई रखना आपका मुख्य काम है. अगर आप यह करने में सक्षम नहीं है तो आप किस तरह की शिक्षा देंगे. यह दुखद है कि आप अपने स्कूलों से कचरा हटाने में समर्थ नहीं हैं.’’
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि, ठोस कचरे के प्रबंधन के मसले के प्रति वे गंभीर नहीं है जो पूरे देश के लिए एक बड़ी समस्या है. पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘दिल्ली के कचरा भराव वाले स्थानों की सफाई और भलस्वा, गाजीपुर तथा ओखला में बड़े कचरे को हटाने के लिए व्यापक समर्थन है. हालांकि ऐसा लगता है कि इस संबंध में कदम उठाने के प्रति प्राधिकारियों में इच्छा नहीं है.’’
इससे पहले एनजीटी ने भी राज्य सरकार और निकाय को दिल्ली को कचरा घर बनने से बचाने के लिए कचरा निपटान पर ध्यान देने की हिदायत दी थी.
Bureau Report
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