तमिलनाडु: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता जब चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती हुईं, उसके बाद से अब पहली बार उनकी उस दौरान की फोटो जारी की गई है. जयललिता की अस्पताल में ही मृत्यु हो गई थी. कई लोगों ने उनकी करीबी शशिकला और उनके परिजनों पर आरोप लगाया है कि उन लोगों ने उस दौरान किसी को जयललिता से मिलने नहीं दिया. शशिकला के विरोधियों ने जयललिता की मृत्यु को साजिश से जोड़कर भी देखा. इस मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया गया है.
उसी कड़ी में शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन के करीबी पी वेत्रीवेल ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा है कि इससे यह बात एकदम झूठ साबित होती है कि जयललिता से किसी को मिलने नहीं दिया जाता था. इसके साथ ही वेत्रीवेल ने कहा कि इस वीडियो जारी करने से पहले हमने काफी विचार किया लेकिन जब कोई विकल्प नहीं बचा और लगातार आरोप लगाए जाते रहे तो इसको जारी करने के लिए मजबूर हुए हैं. जांच आयोग ने भी अभी हमको इस संबंध में समन नहीं दिया है. यदि वे हमको बुलाएंगे तो हम उनको संबंधित दस्तावेज पेश करेंगे.
डीएमके ने जांच की मांग की
इससे पहले डीएमके नेता एमके स्टालिन ने पिछले साल दिसंबर में हुई मुख्यमंत्री जे जयललिता की मृत्यु के पीछे का रहस्य का पता लगाने तथा उसमें शामिल व्यक्ति पर मामला दर्ज करने का मंगलवार को निश्चय किया. उन्होंने दावा किया कि अन्नाद्रमुक सरकार अधिक समय तक नहीं टिकेगी एवं उनकी पार्टी सत्ता में लौटेगी.
उन्होंने आरके नगर विधानसभा क्षेत्र में 21 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन द्रमुक उम्मीदवार एम मारुतु के पक्ष में प्रचार करते हुए यह बात कही. इस सीट से जयललिता दो बार निर्वाचित हुई थीं. स्टालिन ने कहा कि इस बात का रहस्य है कि कैसे जयललिता गुजर गईं तथा अस्पताल में 75 दिनों तक भर्ती रखने के दौरान उनका कैसा इलाज किया गया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित जांच आयोग आंखों में धूल झोंकने जैसा है. यह उपचुनाव पिछले साल पांच दिसंबर को जयललिता के गुजर जाने के पश्चात रिक्त हुई आर के नगर विधानसभा सीट को भरने के लिए कराया जा रहा है.
जब अस्पताल लाया गया तब सांस नहीं चल रही थी…
हाल में अपोलो अस्पताल के शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को पिछले साल 22 सितंबर को जब अस्पताल लाया गया था तो उनकी ‘सांस नहीं चल रही थी.’ उन्होंने बताया कि उपचार के दौरान उनके साथ वही लोग थे, जिनके नामों की उन्होंने मंजूरी दी थी. अन्नाद्रमुक सुप्रीमो 75 दिन अस्पताल में रहीं. इसके बाद पांच दिसंबर को उनका निधन हो गया.
अपोलो अस्पताल की उपाध्यक्ष प्रीता रेड्डी ने नई दिल्ली में एक निजी टीवी चैनल को बताया, ”उन्हें (जयललिता को) जब अस्पताल ले आया गया था तो उनकी सांस नहीं चल रही थी, उनका उचित इलाज किया गया और उनकी स्थिति बेहतर हुई.” उन्होंने कहा, ”दुर्भाग्यपूर्ण रूप से आखिरकार वो हुआ जो कोई नहीं चाहता था. और वह कुछ ऐसा था जिस पर किसी का वश नहीं.”
उनकी मौत की परिस्थितियों को लेकर कुछ लोगों द्वारा सवाल खड़े किये जाने से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा कि अस्पताल ने नई दिल्ली और विदेश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों से उनका उपचार करवाया.
उन्होंने कहा, ”जांच हो रही है और मुझे लगता है वह सबसे अच्छी चीज है. उनको आंकड़े देखने दीजिए…मेरे ख्याल से उसके बाद सारे रहस्य सुलझ जाएंगे.” रेड्डी से जब पूछा गया कि जयललिता के उपचार के समय उनके साथ कौन-कौन था तो उन्होंने कहा कि जरूरत के अनुरूप और दिवंगत मुख्यमंत्री ने जिन लोगों की स्वीकृति दी थी, वे ही इलाज के दौरान उनके साथ थे.
अधिकारी से जब यह सवाल किया गया कि फिंगरप्रिंट लेने के समय क्या जयललिता को यह बताया गया था कि उनकी अंगुली के निशान लिए जा रहे हैं तो उन्होंने कहा, ”मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकती क्योंकि मैं तब उनके बेड के पास नहीं थी.” यह आरोप लगाया जाता है कि तब उपचुनावों में अन्नाद्रमुक के उम्मीदवार तय किये जाने वाले दस्तावेजों पर जयललिता की उंगलियों के निशान लिये गए थे.
Bureau Report
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