नईदिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ एक राजनेता बल्कि अच्छे लेखक भी हैं. साल 2014 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले उन्होंने लोगों के साथ अपनी लिखी एक कविता शेयर की थी. जिसके माध्यम से उन्होंने सभी को मकर संक्रांति की बधाई दी थी. इस कविता को लोगों ने काफी पसंद किया था. नरेंद्र मोदी ने बताया था कि उन्होंने ये कविता 80 के दशक में लिखी थी, जिसका शीर्षक ‘उत्सव’ है. यह पहला मौका था जब मोदी ने अपनी रचना साझा की थी.
पेश है मोदी की कविता
उत्सव
पतंग…
मेरे लिए उर्ध्वगति का उत्सव
मेरा सूर्य की ओर प्रयाण.
मेरे जन्म-जन्मांतर का वैभव,
मेरी डोर मेरे हाथ में
पदचिह्न पृथ्वी पर,
आकाश में विहंगम दृश्य.
मेरी पतंग…
अनेक पतंगों के बीच…
मेरी पतंग उलझती नहीं,
वृक्षों की डालियों में फंसती नहीं.
पतंग…
मानो मेरा गायत्री मंत्र.
धनवान हो या रंक,
सभी को कटी पतंग एकत्र करने में आनंद आता है,
बहुत ही अनोखा आनंद.
कटी पतंग के पास…
आकाश का अनुभव है,
हवा की गति और दिशा का ज्ञान है.
स्वयं एक बार ऊंचाई तक गई है,
वहां कुछ क्षण रुकी है.
पतंग…
मेरा सूर्य की ओर प्रयाण,
पतंग का जीवन उसकी डोर में है.
पतंग का आराध्य(शिव) व्योम(आकाश) में,
पतंग की डोर मेरे हाथ में,
मेरी डोर शिव जी के हाथ में…
जीवन रूपी पतंग के लिए(हवा के लिए)
शिव जी हिमालय में बैठे हैं.
पतंग के सपने(जीवन के सपने)
मानव से ऊंचे.
पतंग उड़ती है,
शिव जी के आसपास,
मनुष्य जीवन में बैठा-बैठा,
उसकी (डोर) को सुलझाने में लगा रहता है.
मोदी ने इस कविता को अपनी वेबसाइट www.narendramodi.in पर साझा किया था. जिसका लिंक उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया था. लिंक को ट्वीट करते हुए उन्होंने उत्तरायण की शुभकामनाएं दी और लिखा था, आज (सोमवार को यानी 14 जनवरी) आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से भरा होगा. इस अवसर पर मैं अपनी एक कविता शेयर कर रहा हूं.
इसके बाद उन्होंने लोगों द्वारा पूछे गए सवाल का भी जवाब दिया था. जिसमें उन्होंने बताया था कि लोग उनसे ये पूछ रहे हैं कि ये कविता कब लिखी थी. ये कविता मैंने 80 के दशक में लिखी थी.
Bureau Report
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