नईदिल्ली: मुंबई के दंपति संतोष और शीतल के लिए वो एक आम दिन की तरह था. दोनों अपने काम से घर लौटे. उन्होंने फ्लैट की घंटी बजाई, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. फ्लैट में उनकी तीन साल की बेटी वैशाली और शीतल की मां रंजना थीं. बार-बार घंटी बजाने पर भी जब काफी देर तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो आखिरकार संतोष सीढ़ियों के सहारे खिड़की में से फ्लैट में घुसे और गेट खोला. अंदर घुसते ही शीतल ने फर्श पर अपनी बेटी और मां को मृत पाया. उनका पूरा शरीर खून से सना हुआ था. साल 2011 का वो भयावह दिन आज भी दंपति के जहन में जिंदा है. लेकिन इस शोक से गुजरते हुए उन्होंने एक बार फिर खुशियों की तरफ लौटने की कोशिश की है. वे हाल ही में जुड़वा बच्चों के माता-पिता बने हैं. हालांकि, दंपति का कहना है कि बच्चों के जन्म के बाद वे जिंदगी दोबारा जीने की कोशिश जरूर करेंगे लेकिन आज भी उनका पहला मकसद बेटी और मां के लिए इंसाफ पाना है.
IVF तकनीक से हुए बच्चे
संतोष बताते हैं कि बेटी और सास की हत्या के बाद उनके जीवन में सिर्फ अंधेरा रह गया था. वे हर समय बस उन्हीं के बारे में सोचते रहते थे. घटना के बाद उन्होंने फ्लैट बदल दिया, क्योंकि वहां रहना उनके लिए मुश्किल था. शीतल ने अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि मर्डर केस के हर छोटे-बड़े प्रोग्रेस पर नजर रखी जा सके. संतोष का जीवन भी ऑफिस और कोर्ट के बीच बीतने लगा. कई साल बीतने पर भी दंपति इस शोक से उबर नहीं पा रहा था. ऐसे में परिवार और लोगों ने उन्हें एक बार फिर परिवार शुरू करने की सलाह दी. आखिरकार साल 2017 में आईवीएफ तकनीक से 44 वर्षीय संतोष और 37 वर्षीय शीतल ने माता-पिता बनने की सोची.
डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादा कॉम्प्लिकेशन के बिना शीतल ने कंसीव कर लिया. जनवरी 2018 में बच्चों ने जन्म लिया. प्रीमेच्योर बेबी होने के कारण उन्हें पहले मेडिकल ऑब्जरवेशन में रखा गया. एक हफ्ते में उनकी हालत में सुधार आया. पहले दोनों बच्चों का वजन करीब डेढ़ किलो था, जो बाद में ढाई किलो तक पहुंच गया. कुछ ही दिनों में दोनों बच्चों को घर ले जाया जा सकेगा.
ऐसा लगा अब हम फिर जी सकते हैं
सामाजिक मीडिया की खबर के अनुसार जुड़वा बच्चों को पहली बार अपनी गोद में लेते ही संतोष की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने कहा कि उस पल मुझे लगा कि शायद अब हम दोबारा अपनी जिंदगी जी सकते हैं. शीतल भी अब अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, दंपति ने कहा कि बच्चों के जिंदगी में आने के बाद भी उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य इंसाफ पाना है. वे अपनी बेटी और मां के हत्यारे को सजा पाते हुए देखना चाहते हैं.
21 साल के युवक ने की थी हत्या
साल 2011 में हुई वैशाली और रंजना की हत्या में पुलिस ने एक 21 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया था. जिसका संतोष के घर आना-जाना था. हत्या के बाद से ही वो गायब था. कुछ दिनों बाद वो अपने एक दोस्त के यहां इस इरादे से रहने पहुंचा कि पुलिस को उस पर शक न हो. लेकिन पुलिस की शक की सुई पहले ही उसकी तरफ मुड़ चुकी थी. उन्होंने उसे हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की. इस दौरान आरोपी ने डंबल और चाकू से वैशाली और रंजना की हत्या कर गहने और पैसे चोरी करने की कुबूल कर ली.
उसने पुलिस को बताया कि वो पहले भी उन्हें मारने की कोशिश कर चुका था. इसके लिए उसने उन्हें दूध में मरी हुई छिपकली डाल दी थी. जहरीले दूध को उसने रंजना को दिया, लेकिन उन्होंने वो नहीं पिया, जिससे आरोपी का प्लान फेल हो गया.
आरोपी युवक जमानत पाने के लिए कई बार अदालत का दरवाजा खटखटा चुका है, लेकिन हर बार संतोष ने कोर्ट में इसका विरोध किया. कोर्ट ने भी उनकी याचिका को मानते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी. अब मामले की सुनवाई आखिरी दौर में है. ऐसे में संतोष और शीतल को आखिरकार इंसाफ पाने की उम्मीद है.
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