अंतरिम बजट में ‘लोक-लुभावन’ कार्यक्रम की घोषणा नहीं की जातीः अन्नाद्रमुक

अंतरिम बजट में 'लोक-लुभावन' कार्यक्रम की घोषणा नहीं की जातीः अन्नाद्रमुकनईदिल्लीः सरकार द्वारा पेश अंतरिम बजट को ‘घोषणापत्र’ की संज्ञा देते हुए अन्नाद्रमुक ने सोमवार को कहा कि अगर सरकार इतनी गंभीर थी तो उसे पिछले बजट में इस तरह के ‘लोक-लुभावन’ कार्यक्रमों की घोषणा करनी चाहिए थी. लोकसभा में अंतरिम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए अन्नाद्रमुक के एम तंबिदुरै ने कहा कि अंतरिम बजट में कभी इतने लोक-लुभावन कार्यक्रमों की घोषणा नहीं की जाती, लेकिन इस बार चुनाव की वजह से यह सब किया गया है. उन्होंने कहा, ”यह घोषणापत्र है, बजट नहीं.” तंबिदुरै ने कहा कि सरकार इतनी गंभीर थी तो पिछले साल के बजट में इन कार्यक्रमों की घोषणा क्यों नहीं की गयी. हालांकि उन्होंने माना कि सरकार ने कुछ चीजें हासिल की हैं और जीडीपी, मुद्रास्फीति की दर में सुधार हुआ है और एफडीआई भी बढ़ गया है.

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की दर पिछले कई दशकों में सर्वोच्च स्तर पर है और इस दिशा में सरकार विफल रही है. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर तेलुगूदेशम पार्टी के सदस्यों के प्रदर्शन के बीच तंबिदुरै ने सरकार पर खेती के क्षेत्र में संकट पर भी ध्यान नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एमएसपी समेत कुछ वादों को तो पूरा करने में सफल रही लेकिन कई सारी चीजें नहीं कर सकी. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नारेबाजी कर रहे तेदेपा सदस्यों से उनके स्थानों पर जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि वे चर्चा पर भाग लेते हुए अपनी बात रख सकते हैं. हालांकि तेदेपा सदस्य आसन के समीप ही खड़े रहे. 

इस बीच तंबिदुरै ने कहा कि खाद्य उत्पादन में भारत का स्थान इस वर्ष विश्व में दूसरा रहा लेकिन देश में गरीबी को लेकर स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ. अन्नाद्रमुक सदस्य ने अंतरिम बजट में किसानों को 6000 रुपये सालाना सहायता की घोषणा को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि सरकार की मंशा तो सही है लेकिन कम से कम 12 हजार रुपये सालाना दिये जाने चाहिए. उन्होंने मनरेगा पर सरकार की नीति पर पुनर्विचार की मांग भी की.

तंबिदुरै ने सरकार को नोटबंदी और जीएसटी को लेकर आड़े हाथ लिया और कहा कि नोटबंदी से देश को कुछ हासिल नहीं हुआ, बल्कि छोटे कारोबारी बर्बाद हो गये. असंगठित क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि हालांकि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है. जीएसटी पर उन्होंने कहा कि इसके लागू होने के बाद तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों को केंद्र से उनकी बकाया राशि नहीं मिल रही है. उन्होंने सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) बढ़ाने की भी मांग की.

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