नईदिल्ली: सरकार 3,500 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य से 14 फरवरी को भारत-22 एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) की यूनिटों की एक और बिक्री पेशकश करेगी. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. इस साझा कोष का पैसा चुनिंदा सरकारी उपक्रमों में लगाया जाता है और इसकी यूनिटें शेयर बाजार में खरीदी बेची जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि यह बिक्री पेशकश मात्र एक दिन के लिए खुलेगी. उसी दिन संस्थागत और खुदरा निवेशक इसमें प्रतिभाग कर सकते हैं.
अतिरिक्त अभिदान का विकल्प भी रखा गया
एक अधिकारी ने कहा, ‘भारत-22 ईटीएफ की अतिरिक्त बिक्री पेशकश 14 फरवरी को की जाएगी. यह सिर्फ एक दिन के लिए होगी. इस निर्गम का आकार 3,500 करोड़ रुपये तय किया गया है. साथ ही अतिरिक्त अभिदान का विकल्प भी रखा गया है.’ ईटीएफ की इस बिक्री से सरकार को चालू वित्त वर्ष में 80 हजार करोड़ के विनिवेश लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी. अभी तक सरकार ने ईटीएफ और लोक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर लगभग 36,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
आम तौर पर किसी ईटीएफ की फॉलो-ऑन पेशकश चार दिन तक खुली रहती है. इसमें पहला दिन एंकर निवेशकों के लिए और बाकी के तीन दिन संस्थागत एवं खुदरा निवेशकों के बोली लगाने के लिए होते हैं. लेकिन यह भारत-22 ईटीएफ की अतिरिक्त पेशकश है तो यह खुदरा एवं संस्थागत दोनों तरह के निवेशकों के लिए एक ही दिन खुलेगा. सरकार ने भारत-22 ईटीएफ से अब तक 22,900 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इसमें 14,500 करोड़ रुपये नवंबर 2017 में और 8,400 करोड़ रुपये जून 2018 में जुटाए गए.
इस ईटीएफ में ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, भारतीय स्टेट बैंक, भारत पेट्रोलियम, कोल इंडिया और नाल्को जैसे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम भी शामिल हैं. इसके अलावा इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियर्स इंडिया, एनबीसीसी, एनटीपीसी, एनएचपीसी, एसजेवीएनएल, गेल, पीजीसीआईएल और एनएलसी इंडिया शामिल हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा भी भारत-22 ईटीएफ का हिस्सा हैं.
सरकार द्वारा ‘स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (एसयूयूटीआई) के माध्यम से एक्सिस बैंक, आईटीसी और एलएंडटी में अपनी रणनीतिक हिस्सेदारी को भी ईटीएफ में रखा है. सरकार की ओर से चालू वित्त वर्ष में की जाने वाली यह दूसरी ईटीएफ पेशकश है. इससे पहले सरकार ने नवंबर 2018 में केंद्रीय लोक उपक्रम ईटीएफ के माध्यम से 17,300 करोड़ रुपये जुटाए थे. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों के शेयर शामिल है.
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