मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पाकिस्तान में छिपा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood ibrahim) कासकर तो पहले से ही खौफज़दा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब अमित शाह के केंद्रीय गृहमंत्री बनने के बाद डी कंपनी में भी खलबली मच चुकी है. सूत्रों का दावा है कि खुफिया जानकारी के मुताबिक डी कंपनी और उसके गुर्गों को अब इस बात का डर सता रहा है कि देश के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली मंत्रालय पर अमित शाह के काबिज होने के बाद अब गृह मंत्रालय में धूल खाती पुरानी फाइलें ना सिर्फ दुबारा खुल सकती हैं बल्कि उन पर तेजी से फैसले लेकर इन गुर्गों के खिलाफ उनके कच्चे चिट्ठे के बिनाह पर कार्रवाई भी शुरू हो सकती है. किसी जमाने में अंडरवर्ल्ड की जिस डी कंपनी की दहशत हुआ करती थी वही डी कंपनी आज मोदी, शाह और डोभाल की तिकड़ी से बौखलाई हुई है.
शाह के डर से छोटा शकील ने की बैठक
सूत्रों की अगर मानें तो डी कंपनी के इस डर का खुलासा तब हुआ जब एजेंसियों को खुफिया जानकारी मिली कि दाऊद के बेहद करीबी माने जाने वाले छोटा शकील ने हाल ही में एक अज्ञात ठिकाने पर अपने खासमखास गुर्गों की बैठक बुलाई. इस बैठक में शकील ने इंटरनेट बेस्ड कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए दुनिया भर में बैठे अपने दूसरे गुर्गों से भी फोन पर बातचीत की. सूत्रों का दावा है कि मौजूदा हालात में खुद के लिए खतरा भांप रही डी कंपनी ने इस बैठक में अपने काले कारनामों को अंजाम देने की अगली रणनीति तय करते हुए सभी कदम फूंक-फूंक कर रखने का फैसला किया.
दाऊद ने गुगों से कहा-चौकन्ना रहो
दाऊद के कहने पर खुद छोटा शकील ने भारत में उसके अलग-अलग कारोबार संभाल रहे गुर्गों को यह हिदायत दी की वे अब से कुछ समय के लिए एजेंसियों को लेकर पहले के मुकाबले और भी ज्यादा चौकन्ने रहे. खासतौर से फिरौती, ड्रग्स, फेक करंसी, सट्टा बाजार और अवैध हथियार के कारोबार संभालने वाले गुर्गों को तो यहां तक हिदायत दे दी गई कि अगर उन्हें ज्यादा खतरा महसूस हो तो वे देश छोड़कर बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया और दुबई जैसे देशों में कुछ समय के लिए पनाह ले सकते हैं, जहां उनकी हिफाजत की पूरी जिम्मेदारी डी कंपनी की होगी. इतना ही नहीं, सूत्रों का कहना है कि देश के उत्तर पूर्वी राज्यों के बॉर्डर पर एक्टिव अपनी नेपाल और बांग्लादेश की टीमों को भी डी कंपनी ने बिना कोई जोखिम उठाए पीछे हटने के निर्देश दे दिए हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी भी सामने आ गई थी कि कैसे खुद दाऊद ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आईएसआई और पाकिस्तानी मिलिट्री के अफसरों से खुद की हिफाज़त को लेकर बातचीत की थी. साफ है कि खुद दाऊद और डी कंपनी भी शायद यह बात अच्छे तरीके से जानती है कि मोदी सरकार अब तक दाऊद के कई गुर्गों को भारत में प्रत्यर्पण करने, उसके रिश्तेदारों और करीबियों की संपत्ति नीलाम करने जैसी कई कार्रवाईयों को अंजाम देकर दाऊद के खिलाफ पहले ही शिकंजा कस चुकी है. ऐसे में देखना यह होगा कि पहले से ज्यादा ताकतवर बनकर दोबारा सत्ता में आई बीजेपी पार्टी और खासतौर से मोदी, शाह और डोभाल की तिकड़ी मौलाना मसूद अजहर के बाद हाफिज सईद और दाऊद के खिलाफ अगली रणनीति क्या अपनाती है.
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