नईदिल्ली: मध्यप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका में अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है और पर्यावरण और राजस्व को हो रहे नुकसान का हवाला दिया गया है. साथ ही अवैध खनन की CBI जांच की भी मांग की गई है. गौरतलब है कि देशभर में बगैर लाइसेंस और पर्यावरण मंजूरी के बिना नदियों के किनारे और तली से रेत निकालने और खनन पर NGT ने प्रतिबंध लगा दिया था.
NGT ने 5 अगस्त 2013 को दिए अपने आदेश में कहा था कि अवैध रूप से रेत निकालने से सरकारी खजाने को अरबों रुपये का नुकसान हो रहा है. NGT कहा था कि यह आदेश पूरे देश पर लागू होना है. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सभी राज्यों के खनन अधिकारियों और संबंधित पुलिस अफसरों से कहा है कि वो आदेश का पालन करवाएं.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है. शुरू में NGT ने यमुना, गंगा, हिंडन, चंबल और गोमती नदियों के किनारों और तली से अवैध रूप से रेत निकालने पर रोक लगाई थी, लेकिन बाद में आदेश में संशोधन करते हुए कहा था कि ऐसी गतिविधियों का असर देश भर में हो रहा है.
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