अनीता के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, जो अपने बेटी को पढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करके पैसा जुटा रहे थे. उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है. बता दें कि इस साल की 12वीं बोर्ड परीक्षा में अनीता ने 1200 में से 1176 अंक हासिल किए थे. वो डॉक्टर बनना चाहती थी.
मेडिकल एंट्रेंस के लिए अगर उसकी बोर्ड परीक्षा के अंकों पर नजर डालें तो, अनीता को असानी से सीट मिल जाती, क्योंकि उसे 200 में से 196.75 मार्क्स मिले थे. वहीं इंजीनियरिंग के लिहाज से अनीता ने 200 में से 199.76 अंक हासिल किए थे. हालांकि मेडिकल के लिए होने वाले नीट (NEET) एग्जाम में अनीता कट ऑफ क्लियर नहीं कर सकी. वो 700 में से सिर्फ 80 अंक प्राप्त कर पाई.
अनीता के रिश्तेदारों का कहना है कि वो मेडिकल के लिए सीट हासिल न कर पाने को लेकर काफी परेशान थी. उन्होंने बताया कि उसे मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में उसे दाखिला मिल रहा था, फिर भी उसने ऐसा कदम उठाया.
हालांकि, 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को NEET के अनुसार मेडिकल परीक्षा करवाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ये फैसले तब आया जब केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार के NEET पर एक साल की रोक लगाने वाले विधेयक को खारिज कर दिया.
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