रायबरेली: सड़कों पर भोजन की तलाश में भटकते हुए एक भिखारी को खाने के लिए दिया गया. उसे नहलाया-धुलाया गया, तो पता चला कि जिसकी सेवा वे भिखारी के रूप में कर रहे हैं, असल में वह भिखारी नहीं बल्कि कर्नाटक का करोड़पति कारोबारी है. उसके पास से आधार कार्ड और एक करोड़ से अधिक की एफडी के कागज मिले. कारोबारी की इस दयनीय हालात पर उसके परिजनों की खोज के बाद उसे उसकी बेटी को सौंप दिया गया. बेटी गीता ने बताया कि उनके पिता पिछले छह महीने से लापता हैं. वे ट्रेन द्वारा तीर्थ यात्रा पर निकले थे, तभी से उनकी कोई खबर नहीं थी.
जानकारी के मुताबिक, रायबरेली के रालपुर स्थित स्वामी सूर्य प्रबोध परमहंस इंटर कॉलेज अनगपुरम में बीते 13 दिसंबर को बुजुर्ग पंहुचा जो कई दिनों से भूखा लग रहा था. उसकी हालत बहुत दयनीय थी. स्कूल के संस्थापक स्वामी भास्कर स्वरुप जी ने उस भिखारी के भोजन की व्यवस्था की. भोजन कराने के बाद बुजुर्ग के बाल कटवाए गए और फिर उसे नहलाया-धुलाया गया और नए पहनने के लिए नए कपड़े दिए गए. जब उस बुजुर्ग के गंदे कपड़ों की धुलाई की जा रही थी तभी कपड़ों से उसका आधार कार्ड और एफडी के कागज और एक चाबी मिली. कर्मचारियों ने देखा कि उस एफडी की कीमत एक करोड़, 7 लाख रुपये थी. इस बात की सूचना फौरन स्वामी जी को दी गई. बुजुर्ग का आधार कार्ड देखा गया तो उस आधार पर उसकी पहचान तमिलनाडु के थिरुवनावली निवासी मुथैया नादर के रूप में हुई.
आधार कार्ड में दर्ज फोन नंबर के आधार पर बुजुर्ग के परिजनों से संपर्क किया गया. सूचना मिलते ही तमिलनाडु से उसके परिजन आए. उन्होंने बताया कि जुलाई माह में मुथैया नादर तीर्थ यात्रा पर निकले थे, तभी से वे लापता हैं. परिजनों ने आशंका जताई कि वे किसी जहरखुरानी गिरोह के शिकार हुए हैं. परिजनों ने स्वामी जी को धन्यवाद देकर मुथैया को हवाई जहाज द्वारा तमिलनाडु ले गए.
Bureau Report
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