सिर्फ जीप ही नहीं इजरायली Cow की भी भारत में होगी एंट्री, आम गाय से देती है 5 गुना ज्यादा दूध

सिर्फ जीप ही नहीं इजरायली Cow की भी भारत में होगी एंट्री, आम गाय से देती है 5 गुना ज्यादा दूधनईदिल्लीः इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों भारत दौरे पर हैं. उनके भारत दौरे पर ऐसा लग रहा है कि उनका ड्रीम प्रोजेक्ट ‘कंप्यूटर काउ’ भी साकार हो जाएगा. जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि कंप्यूटर काउ यानी कि कंप्यूटर वाली गाय. यह एक आम गाय की तरह की हाड़-मांस की गाय है. अंतर बस पालन और पोषण का है, किसी भी आम गाय को एक इंसान अपनी या परिवार की निगरानी में पालता है लेकिन इस गाय को पूरी तरह से पालन-पोषण कंप्यूटर की निगरानी में किया जाता है. इस गाय की खास बात यह है कि इसके खाने-पानी से लेकर किस मौसम में यह रह सकती है इसे सॉफ्टवेयर के जरिए डेवलअप किया जाता है. 

हरियाणा में ‘कंप्यूटर काउ’ मिल्क प्रोडक्शन’ की शुरुआत
पिछले साल जुलाई में इजरायल की यात्रा पर गए पीएम मोदी को बेंजामिन नेतन्याहू ने यह गाय दिखाई थी. उस वक्त मोदी ने इस गाय में काफी रुचि दिखाई थी. एक खबर के मुताबिक इस गाय की वजह से इसी महीने हरियाणा के हिसार जिले में सरकार द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस में ‘कंप्यूटर काउ’ मिल्क प्रोडक्शन की शुरुआत की जा रही है. खबर के मुताबिक इस सेंटर को डेवलप करने के लिए वर्ष 2015 में  इजरायली इंटरनेशनल डवलपमेंट कॉरपोरेशन एजेंसी मैशाव और हरियाणा सरकार ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

आम गाय से 5 गुना ज्यादा दूध देगी कंप्यूटर COW

अखबार में छपी खबर के मुताबिक हर साल भारतीय गाय प्रतिदिन 7.1 किलो, ब्रिटिश गाय 25.6 किलो, अमेरिकी गाय 32.8 किलो, इजरायली गाय 38.7 किलो दूध देती है. बाकि देशों के मुकाबले इजरायली गाय ज्यादा दूध देने में सक्षम है जिसका श्रेय कंप्यूटर काउ को ही जाता है. 

प्रति वर्ष मिल्क सॉलिड्स प्रोडक्शन
गाय के दूध से पानी को पूरी तरह से सुखाने के बाद जो पाउडर बचता है उसे सॉलिड्स मिल्क कहते हैं. खबर के मुताबिक हर साल न्यूजीलैंड 373 किलो, इजरायल 1100 किलो और भारत 220 किलो सॉलिड्स मिल्क का उत्पादन करता है. हरियाणा के हिसार जिले के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में ‘कंप्यूटर काउ’ में कई बातों का ध्यान रखा गया है. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ‘होल्सटीन जर्मप्लाज्म’ नस्ल को फ्रोजन सीमेन के तौर पर इजरायल से लाया गया है. इसके बाद भारतीय दलों द्वारा गायों के चुनिंदा समूहों को चुका गया ताकि भविष्य में भी भारत को इसका फायदा हो सके. 

Bureau Report

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