कांग्रेस-JDS डील में सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा ने इस तरह राहुल गांधी की मदद की.

कांग्रेस-JDS डील में सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा ने इस तरह राहुल गांधी की मदद की.नईदिल्‍ली: 15 मई को कर्नाटक चुनाव के नतीजों में दोपहर के वक्‍त तब जब यह स्‍पष्‍ट होने लगा कि बीजेपी को बढ़त मिल रही है तो कांग्रेस ने बिना देरी किए तत्‍काल ‘प्‍लान बी’ बनाया. इस कड़ी में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास उनके आधिकारिक आवास 10-जनपथ पहुंचे. यहां पर इनकी जेडीएस को समर्थन देने के मसले पर चर्चा हुई. लेकिन चुनाव रैलियों में जेडीएस को बीजेपी की ‘बी टीम’ कहने वाले राहुल गांधी इस बात से आश्‍वस्‍त नहीं थे कि यदि एचडी देवगौड़ा और कुमारस्‍वामी को फोन किया जाए तो उनकी प्रतिक्रिया क्‍या होगी?

हमारी सहयोगी अंग्रेजी वेबसाइट DNA ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि प्रियंका गांधी के सुझाव पर राहुल गांधी कुमारस्‍वामी को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी का ऑफर देने को तैयार हो गए. उसके बाद सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से बात की. सोनिया से अनुमति मिलने के बाद आजाद ने जेडीएस नेताओं से बात की. उनकी तरफ से सकारात्‍मक प्रतिक्रया मिलने के बाद यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने जेडीएस नेता देवगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्‍वामी से बातकर डील फाइनल की. हालांकि सूत्रों के मुताबिक इसके साथ ही यह एक बार फिर साबित हुआ कि कद्दावर नेताओं के साथ राजनीतिक डील करने में अभी भी राहुल गांधी अपेक्षित कद हासिल नहीं कर सके हैं.

प्‍लान बी

इससे पहले कांग्रेस ने अंदरखाने यह प्‍लान बनाया था कि यदि पार्टी कम से कम 100 के आंकड़े को छुएगी तो सिद्दारमैया ही सीएम पद के दावेदार होंगे लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी अन्‍य विकल्‍पों पर विचार करेगी. उसके तहत ही प्‍लान बी के तहत कांग्रेस ने यह रणनीति अपनाई. उसके बाद पार्टी ने नेता डीके शिवकुमार को दो निर्दलीय विधायकों के साथ संपर्क के लिए अधिकृत किया.

हालांकि इसकी पृष्‍ठभूमि में यदि देखा जाए तो गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए कांग्रेस कर्नाटक में जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं थी और शायद यही वजह है कि उसने नतीजों को लेकर तस्वीर साफ होते ही ‘प्लान बी’ के तहत तत्काल जदएस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. त्रिशंकु विधानसभा के आसार को देखते हुए पार्टी ने चुनावी नतीजों से ठीक एक दिन पहले अपने दो वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को बेंगलुरू भेजा.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई एक्जिट पोल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों में खंडित जनादेश की तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गोवा और मणिपुर जैसी स्थिति से निपटने के लिए पहले से तैयारी रखना चाहते थे. देर शाम दिल्ली से बेंगलुरू पहुंचे वरिष्ठ नेता वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास पर भी पहुंच गए थे. उनमें पार्टी के राज्य प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी शामिल थे.

कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘मणिपुर और गोवा में जो हुआ उसके देखते हुए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व खासकर राहुल गांधी प्लान बी के विकल्प पर पहले ही तैयारी कर चुके थे. इसी के तहत गहलोत और आज़ाद को कर्नाटक भेजा गया.’ बहुमत का जादुई आंकड़ा 112 सीटों का है.

Bureau Report

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