क्या है #NetNeutrality? सिर्फ 3 उदाहरण से आम भाषा में समझिए पूरा फंडा

क्या है #NetNeutrality? सिर्फ 3 उदाहरण से आम भाषा में समझिए पूरा फंडानईदिल्ली: दूरसंचार आयोग ने इंटरनेट के मामले में भेदभाव नहीं होने को लेकर नेट निरेपक्षता यानी नेट न्यूट्रैलिटी नियमों को मंजूरी दे दी है. ये नियम सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट पर किसी सामग्री और सेवा के साथ किसी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाते हैं. हालांकि, रिमोट सर्जरी और स्वचालित कर जैसी कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को नेट निरपेक्षता नियमों के दायरे से बाहर रखा जाएगा. दूरसंचार सचिव अरूणा सुंदरराजन ने कहा, ‘‘दूरसंचार आयोग ने ट्राई की सिफारिशों के आधार पर नेट निरपेक्षता (NetNeutrality) को मंजूरी दे दी. ऐसी संभावना है कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जा सकता है.’’ लेकिन, आसान भाषा में समझें तो क्या है ये नेट न्यूट्रैलिटी?

क्या मिलेगा इंटरनेट का अधिकार
भारत में नेट न्यूट्रैलिटी पर डिबेट जारी है. सरकार बार-बार भरोसा दे रही है कि देश के हर नागरिक को इंटरनेट का अधिकार है. उसका मकसद डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देना है, ऐसे में वह नेट न्यूट्रैलिटी से कभी भी समझौता नहीं करेगी. दरअसल, इंटरनेट पर न्यूट्रैलिटी को लेकर चर्चा तो कई महीनों से चल रही थी, लेकिन यह सुर्खियों में तब आया जब ट्राई में मोबाइल ऑपरेटरों के दबाव में इंटरनेट कंटेंट पर चार्ज लगाने पर इंटरनेट यूजर्स से फीडबैक मांगा. एक बार फिर से नेट न्यूट्रैलिटी को आम आदमी की भाषा में समझते हैं.

क्या है Net Neutrality
Net Neutrality का मतलब है कि इंटरनेट पर आम आदमी हो या बड़ी कंपनी या फिर सरकार सबको बराबर मौका मिलना चाहिए. इंटरनेट की इसी खूबी के चलते यह अभिव्‍यक्ति की आजादी का मजबूत माध्‍यम बनकर उभरा है. लेकिन, कुछ टेलीकॉम कंपनियां कुछ वेबसाइटों को फ्री या तेज स्‍पीड देकर बाकी वेबसाइटों का रास्‍ता बंद करना चाहती हैं. जबकि, Net Neutrality के हिसाब से इंटरनेट पर हर वेबसाइट को बराबर स्‍पीड और बराबर मौका मिलना चाहिए. ऐसा नहीं कि टेलीकॉम कंपनी से टाई अप करने वाली वेबसाइट तो एकदम खुल जाए और बाकी वेबसाट स्‍लो हो जाएं. टेलीकॉम कंपनियों की यह लॉबिंग कामयाब रही तो इंटरनेट की आजादी खतरे में पड़ सकती है.

नेट न्यूट्रैलिटी को कैसे नुकसान?
इंटरनेट प्रोवाइडर्स पहले भी Skype जैसी वीडियो कॉलिंग सर्विसेज के लिए अलग से चार्ज लेने की बात कर चुके हैं. क्योंकि उन्हें लगता रहा है कि इस तरह के प्रोडक्ट्स उनके वॉयस कॉलिंग बिजनेस को नुकसान पहुंचाते हैं. यही नेट न्यूट्रैलिटी के कंसेप्ट के खिलाफ है जो सभी ट्रैफिक को बराबर तवज्जो देने की बात करता है.

3 आसान उदाहरणों से समझिए #net neutrality
1. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को किसी वेबसाइट की स्‍पीड या कंटेंट को नियंत्रित करने का अधिकार देना ठीक वैसे ही है जैसे बिजली सप्‍लाई करने वाली कंपनी आप से कहे कि उसकी बिजली से फ्रीजर नहीं चला सकते. कूलर फ्री में चला सकते हैं लेकिन पंखा बहुत धीमा चलेगा. जो भी उपकरण इस्तेमाल करेंगे बिजली की दरें अलग होंगी. इस तरह बिजली का उपयोग आप कैसे करते हैं यह बिजली कंपनी तय करने लगेंगी. यह बात इंटरनेट पर लागू होने का मतलब है न सिर्फ अभिव्‍यक्ति की आजादी टेलीकॉम कंपनियों के हाथ में जाना बल्कि छोटे उद्यमियों, कंपनियों के रास्‍ते बंद होना. 

2. मान लीजिए आप 10 रुपए की एंट्री फीस देकर किसी पार्क में जाते हैं. लेकिन, अंदर पहुंचने पर पता चलता है कि पार्क में दौड़ने के अलग पैसे हैं, बैठने के अलग पैसे और झूला झलने का अलग चार्ज. इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों की मर्जी चली तो यह फंडा ऑनलाइन दुनिया में भी लागू हो जाएगा. इससे इंटरनेट का चरित्र और चेहरा हमेशा के लिए बदल सकता है.

3. न्‍यू मीडिया कॉमेडी ग्रुप AIB ने अपने खास अंदाज में #net neutrality को समझाने की कोशिश की है. इनके वीडियो को लाखों लोगों ने पसंद और शेयर किया है. इसके जरिए भी आप #net neutrality के मुद्दे पर समझ बना सकते हैं.

Bureau Report

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