नैनीताल हाईकोर्ट का अहम फैसला, ‘मनुष्‍यों की तरह ही जीवों के भी हैं अधिकार’, दिया विधिक दर्जा

नैनीताल हाईकोर्ट का अहम फैसला, 'मनुष्‍यों की तरह ही जीवों के भी हैं अधिकार', दिया विधिक दर्जानईदिल्ली/नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने जीव-जंतुओं को भी विधिक दर्जा प्रदान करते हुए उत्तराखंड के नागरिकों को उनका संरक्षक घोषित कर दिया है. कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि जीव जंतुओं के भी मानव की तरह अधिकार, कर्तव्य और जिम्मेदारियां हैं. दरअसल, सीमांत चम्पावत में नेपाल सीमा से सटे बनबसा कस्बे के नारायण दत्त भट्ट ने जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने सभी जीवों को विधिक अस्तित्व का दर्जा दिया है.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जानवरों को हर दो घंटे में पानी, चार घंटे में भोजन एक बार में 2 घंटे से ज्यादा पैदल चलाने पर रोक लगा दी गई है. कोर्ट ने कहा कि पशुओं को पैंदल केवल 12 डिग्री से 30 डिग्री तापमान के दौरान ही चलाया जा सकता है. 37 डिग्री से ज्यादा 5 डिग्री से कम तापमान के दौरान हल जोतने पर भी कोर्ट ने प्रतिबंध लगाया है. कोर्ट ने पशुओं को हांकने के लिए चाबुक, डंडे सहित किसी भी प्रकार की अन्य विधि पर भी रोक लगाई है.

कोर्ट ने अपने आदेश में जानवरों के नाक, मुंह में लगाम लगाने पर रोक, केवल रस्सी से गर्दन से बांधने की अनुमति दी है. रस्सी का मुलायम होना आवश्यक. कोर्ट ने कहा कि पंत विवि के कुलपति, वरिष्ठ प्रोफेसरों की कमिटी बनाएं जो ये बताए कि बछड़े, बैल ऊंट आदि द्वारा ढोए जाने वाले बोझ के लिए निर्धारित मानदंड सही हैं या बोझ की मात्रा ज्यादा है. कोर्ट ने विभिन्न पशुओं द्वारा ढोए जाने वाले बोझ की सीमा निर्धारित की है.

दरअसल, साल 2014 में दायर याचिका में कहा गया था कि बनबसा से नेपाल के महेंद्रनगर की दूरी 14 किमी है. इस मार्ग पर घोड़ा, बुग्गी, तांगा, भैंसा गाड़ियों का उल्लेख करते हुए, उनके चिकित्सकीय परीक्षण, टीकाकरण के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया था. याचिका में ये भी कहा गया था कि बुग्गियों, तांगों और भैंसा गाडिय़ों से यातायात प्रभावित होता है और इन गाड़ियों के माध्यम से मानव तस्करी व ड्रग्स तस्करी की आशंका बनी रहती है. याचिका में ये भी बताया था कि भारत-नेपाल सीमा पर इनकी जांच नहीं की जाती है. इस मामले में भारत-नेपाल सहयोग संधि 1991 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में नगरपंचायत बनबसा को नेपाल से भारत आने वाले घोड़े-खच्चरों का परीक्षण करने, सीमा पर एक पशु चिकित्सा केंद्र खोलने के निर्देश दिए हैं.

Bureau Report

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