अमेरिका में रह रहे इस गुजराती वैज्ञानिक को नहीं मिली गरबा में एंट्री, पढ़ें पूरा मामला

अमेरिका में रह रहे इस गुजराती वैज्ञानिक को नहीं मिली गरबा में एंट्री, पढ़ें पूरा मामलानईदिल्‍ली: नवरात्रि में गरबा का आयोजन देश-विदेश में जोरों से होता है. अमेरिका में भी ऐसे ही आयोजन हो रहे हैं. लेकिन वहां के अटलांटा शहर में गरबा खेलने गए भारतीय मूल के वैज्ञानिक और उनके दोस्‍तों को गरबा खेलने की इजाजत नहीं मिली. सभी को बाहर निकाल दिया गया. उनका कहना है कि उन्‍हें आयोजकों ने इसलिए गरबा में एंट्री नहीं दी क्‍योंकि उन्‍हें उनके नाम को लेकर उन्‍हें शक था कि वह हिंदू नहीं हैं. उनका कहना था कि आप लोग हिंदू नहीं हैं. इसलिए आप लोगों को एंट्री की इजाजत नहीं दी जा सकती.

यह घटना गुजरात के वडोदरा के रहने वाले 29 साल के करन जानी के साथ हुई. वह अमेरिका में अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और 12 साल पहले सेे अमेरिका में रह रहे हैं. उन्‍होंने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि शुक्रवार को वह अपने तीन दोस्‍तों के साथ अटलांटा के श्री शक्ति मंदिर में आयोजित गरबा कार्यक्रम में गए थे. लेकिन उन्‍हें वहां के आयोजकों ने गरबा खेलने के लिए अंदर ही नहीं जाने दिया.

करन जानी के अनुसार गरबा आयोजकों ने उनसे कहा ‘आप लोग हिंदुओं की तरह नहीं दिख रहे हैं, आप लोग हिंदू नहीं लग रहे हैं. आप लोगों के पहचान पत्रों में भी जो उपनाम (सरनेम) लिखे हैं, उनसे भी आपके हिंदू होने का पता नहीं चल रहा है.’

उन्‍होंने कहा कि इस दौरान जब उनके एक दोस्‍त ने आयोजकों को अपना पहचान पत्र दिखाया और एंट्री की अनुमति मांगी तो आयोजकों ने उससे कहा ‘आपका सरनेम ‘वाला’ है, यह हिंदू सरनेम की तरह नहीं लग रहा है, इसलिए हम आपको गरबा खेलने की इजाजत नहीं दे सकते हैं.’

करन जानी का कहना है कि वह गुजराती हिंदू हैं और पिछले छह साल से अटलांटा के श्री शक्ति मंदिर में आयोजित होने वाले गरबा में जाते रहे हैं और वहां हर साल गरबा खेलते हैं. लेकिन पहले कभी भी उनके साथ ऐसी कोई परेशानी नहीं हुई. उन्‍होंने कहा कि आयोजकों से उन्‍होंने गुजराती में बात भी की. अपनी आईडी भी दिखाई. इसके बावजूद उन्‍होंने उन्‍हें और उनके दोस्‍तों को गरबा खेलने की इजाजत नहीं दी और बाहर निकाल दिया.

करन जानी के साथ गए तीन दोस्‍तों में शामिल कोंकणी मुर्देश्‍वर के साथ भी ऐसा ही हुआ. करन के अनुसार उनकी इस दोस्‍त से आयोजकों ने कहा ‘हम आपके समारोह में नहीं जाते हैं तो आपको  हमारे समारोह में आने की अनुमति नहीं है.’

कोंकणी वहां पहली बार गई थीं. करन जानी के अनुसार जब कोंकणी ने आयोजकों से कहा है कि उनका सरनेम मुर्देश्‍वर है और वह कन्‍नड़-मराठी हैं. लेकिन इस पर उसने कहा ‘कन्‍नड़ क्‍या है, आप इस्‍माइली हैं.’

जानी के अनुसार वह पिछले 12 साल से अमेरिका में रह रहे हैं. लेकिन इस तरह से कभी भी उन्‍हें इस तरह की कोई परेशान नहीं हुई. उन्‍होंने कहा कि आयोजकों ने उनकी दो महिला साथियों के साथ भी बुरा बर्ताव किया. लेकिन जब इस मामले में श्री शक्ति मंदिर को ईमेल भेजा गया तो उसका जवाब नहीं दिया गया. जानी ने कहा कि काफी देर बाद मंदिर प्रशासन की ओर से उनके पास फोन आया और उनसे कहा गया कि चेयरमैन ने इस पूरे मामले की निंदा की है. उन्‍होंने कहा कि मंदिर प्रशासन ऐसे किसी भी भेदभाव का समर्थन नहीं करता है.

Bureau Report

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