लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पेश किए जाने पर सवाल उठाया है. पार्टी का कहना है कि भाजपा तीन तलाक विधेयक में मस्लिम पुरुषों को जेल की सजा देने की बात कर रही है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण के खर्च का कोई जिक्र नहीं कर रही है.
रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने बातचीत में कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने ही तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अवैध घोषित कर दिया था, तब बीजेपी की केंद्र सरकार को तीन तलाक विधेयक लाने की क्या जरूरत पड़ गई?
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यदि सर्वोच्च न्यायालय के विरोध में ही काम करना है तो देश का संविधान जरूर खतरे में पड़ जाएगा, क्योंकि भाजपा सरकार सिर्फ अपना स्वार्थ साधने की चेष्टा करती है, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को कोई अहमियत नहीं समझती.
त्रिवेदी ने कहा कि ताज्जुब की बात है कि हिंदुत्व का नारा देने वाले लोग अब मुस्लिम महिलाओं के हिमायती बनने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के हर जनपद में हिंदू महिलाओं के लाखों मुकदमें पारिवारिक न्यायालयों में लंबित हैं और वे महिलाएं धीरे-धीरे अपना पूरा जीवन मुकदमों की पैरवी में बिता देती हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में केंद्र सरकार द्वारा इन न्यायालयों को दिन प्रतिदिन सुनवाई करने का यदि आदेश ही पारित कर देती तो पीड़ित महिलाओं को कुछ राहत मिल सकती थी, लेकिन मोदी सरकार ने हिंदू महिलाओं और मुस्लिम में फर्क करने की कोशिश की. साथ ही साथ अपने विधेयक में मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा और भरण-पोषण का कोई जिक्र नहीं किया. केवल पुरुष वर्ग को तीन साल की सजा दिलाने का प्रावधान कर अपनी पीठ ठोक रही है.
उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि जब मुस्लिम महिलाओं को तलाक देने के बाद उसका शौहर जेल चला गया तो उसके बच्चों को कौन पालेगा और भरण-पोषण का खर्च कौन देगा?
Leave a Reply