SC/ST एक्ट: SC ने एक्ट में बदलाव पर रोक की मांग से इनकार किया, 19 फरवरी को सुनवाई

SC/ST एक्ट: SC ने एक्ट में बदलाव पर रोक की मांग से इनकार किया, 19 फरवरी को सुनवाईनईदिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्‍ट (SC/ST Act)में बदलाव पर रोक की मांग से इनकार किया है. अब इस मामले में सुनवाई 19 फरवरी को होगी. इससे पहले पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (SC/ST) अधिनियम 2018 के संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं एवं केंद्र की पुनर्विचार याचिका को उचित पीठ के समक्ष एक साथ सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह विचार करेगी और जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा.  इससे पहले, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को यह कहते हुए एक आदेश पारित किया कि SC/ ST कानून 2018 के खिलाफ दायर याचिकाओं एवं केंद्र की समीक्षा याचिका पर एक साथ सुनवाई करना उचित होगा. 

इससे पहले शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न की रोकथाम) संशोधन कानून, 2018 पर रोक लगाने से पिछले गुरुवार को इनकार कर दिया. इस संशोधित कानून के जरिए आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दिए जाने के प्रावधान को बरकरार रखा गया है. संसद ने पिछले साल नौ अगस्त को शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए विधेयक पारित किया था. यह फैसला एससी/ एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ निश्चित संरक्षण से जुड़ा हुआ था.

गुरुवार की सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश हुए वेणुगोपाल ने कहा कि पुनर्विचार याचिका एवं कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर साथ में सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि दोनों में समान कानून से जुड़ी बातें हैं. शीर्ष अदालत ने 20 मार्च, 2018 को सरकारी कर्मचारियों एवं आम लोगों के खिलाफ एससी/एसटी कानून के अनियंत्रित दुरुपयोग पर गौर किया था और कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज किसी भी शिकायत पर तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी. 

शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि संसद से पारित हुए एससी/एसटी कानून के नये संशोधनों पर रोक नहीं लगाई जा सकती औऱ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र का जवाब मांगा था. इन याचिकाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न की रोकथाम) कानून में हुए नये संशोधनों को कानून असम्मत घोषित करने की मांग की गई है. इन संशोधनों में शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद एससी/एसटी पर अत्याचार करने के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत के प्रावधान को हटा दिया गया है.

इस प्रावधान के तहत SC/ST कानून के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी और आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी. अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि संसद के दोनों सदनों ने कानून में ”मनमाने” तरीके से बदलाव करने का निर्णय किया और पूर्व प्रावधानों को इस तरह से बरकरार रखा कि निर्दोष व्यक्ति अग्रिम जमानत के अधिकार से वंचित रहे.

Bureau Report

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