जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संभाली सेना की कमान, जनरल बिपिन रावत की जगह ली

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संभाली सेना की कमान, जनरल बिपिन रावत की जगह लीनईदिल्‍ली: जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज देश के 28वें सेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाल लिया. जनरल नरवणे ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए गए जनरल बिपिन रावत का स्‍थान ग्रहण किया. बता दें कि जनरल रावत का तीन साल का कार्यकाल आज समाप्‍त हो गया है. जनरल नरवणे 20 साल में सिख लाइट इंफेंट्री के तीसरे सेनाध्यक्ष होंगे. इससे पहले जनरल वेद प्रकाश मलिक और जनरल बिक्रम सिंह इसी रेजीमेंट से सेनाध्यक्ष बन चुके हैं. 

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के बारे में 5 बातें जानें-:
1. लेफ्टिनेंट जनरल नरवाना सेना को पूर्वी कमान की कमान संभालने का अनुभव है, जो भारत की चीन के साथ लगभग 4,000 किलोमीटर की सीमा की देखभाल करती है.

2. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद विरोधी माहौल के बीच अपनी 37 वर्षों की सेवा में लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे ने शांति, क्षेत्र और अत्यधिक सक्रियता में कई कमांड नियुक्तियों में काम किया है. 

3. मनोज मुकुंद नरवणे ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इन्फैन्ट्री बिग्रेड की कमान भी संभाली है. 

4. जनरल मनोज मुकुंद वह श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स का भी हिस्सा थे और तीन साल तक उन्होनें म्यांमार में भारतीय दूतावास में भारत के रक्षा प्रशिक्षक के रूप में काम किया था.

5. जनरल मनोज मुकुंद को जम्मू कश्मीर में अपनी बटालियन की कमान प्रभावी तरीके से संभालने को लेकर सेना पदक मिल चुका है. उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (उत्तरी) के महानिरीक्षक के तौर पर उल्लेखनीय सेवा को लेकर ‘विशिष्ट सेवा पदक’ तथा प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर की कमान संभालने को लेकर ‘अतिविशिष्ट सेवा पदक’ से भी नवाजा जा चुका है. उन्हें ‘परम विशिष्ट सेवा पदक’ से भी सम्मानित किया गया है.

एनडीए से एक ही बैच के हैं तीनों सेना प्रमुख
अब थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने होंगे. वहीं एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया हैं और नौसेना अध्यक्ष करमबीर सिंह हैं. इन तीनों सेना प्रमुख के बीच दो समानताएं हैं, जो इंटरनेट पर काफी शेयर हो रही हैं. तीनों सेना प्रमुखों के बीच पहली कॉमन कड़ी है उनके पिता और इंडियन एयर फोर्स.

इन तीनों सेना प्रमुखों के पिताओं ने अलग-अलग पद पर रहकर इंडियन एयरफोर्स में सेवाएं दी हैं. नरवाने के पिता और एडमिरल सिंह के पिता तो काफी अच्छे दोस्त भी रहे. वहीं एयर चीफ मार्शल भदौरिया के पिता आईएएफ के एक रिटायर्ट ऑनररी फ्लाइंग ऑफिसर हैं.

दूसरी दिलचस्प बात ये है कि ये तीनों ही नेशनल डिफेंस अकैडमी (एनडीए) के 1976 बैच के कैडेट हैं. यानी तीनों 56वें एनडीए कोर्स का हिस्सा थे. पुणे स्थित एनडीए में तीन साल इन्होंने एक साथ पसीना बहाया जिसके बाद तीनों अपने-अपने सर्विस अकादमी में चले गए. लेकिन डिफेंस की शुरुआत इन्होंने एक ही साल में एक ही कोर्स जॉइन करने के साथ की. ऐसा कम ही देखा जाता है जब एनडीए के बैचमेट्स ही देश की तीनों सेनाओं के प्रमुख भी बनें.  

बताया जा रहा है कि इससे पहले 1991 में तत्कालीन आर्मी चीफ सुनीत फ्रांसिस रोडरिग्ज, एडमिरल लक्ष्मी नारायण रामदास और एयर चीफ मार्शल निर्मल चंद्र सूरी ने भी एनडीए का कोर्स एक साथ किया था. 

‘जवानों के सहयोग से मिलती है सफलता’
अपने रिटायरमेंट डे पर जनरल बिपिन रावत आज सुबह सबसे पहले नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे और शहीदों को नमन किया. इसके बाद जनरल रावत को साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. अपने रिटारमेंट के दिन जनरल रावत ने कहा, ‘मैं भारतीय सेना के जवान और उनके परिवारों को धन्यवाद देता हूं. पिछले तीन सालों से जिस तरह से उन्होंने सहयोग दिया उसी के कारण मैं अपना तीन सालों का कार्यकाल पूरा करने में सफल हुआ. ठंड में सीमा पर तैनात जवानों को सलाम.  मैं वीर नारी, वीर माताओं, हमारे शहीदों के परिवारों को भी बधाई देता हूं. मैं अपने जवानों और उनके परिवारों को नए साल की शुभकामनाएं देता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘बिपिन रावत सिर्फ एक नाम है वो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जब बनता है जब उसमें पूरी आर्मी शामिल होती है. उनके परिवार शामिल होते हैं. अकेला कोई आदमी कुछ नहीं साबित कर सकता है. सब कुछ सारे जवानों और ओहदेदारों का है. आज मैं जनरल मनोज मुकुंद नरवाने को उनके कार्यकाल के शुभकामनाएं देता हूं. हम उनका सहयोग करते रहेंगे. भारतीय सेना उनका सहयोग करती रहेगी. कुछ ऐसे काम होते हैं जो अधूरे रह जाते हैं. हम शुरुआत कर देते हैं और आगे जो ओहदा संभालते हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है वह उसे पूरे करें.’

जनरल रावत ने कहा, ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का कार्यकाल बहुत जिम्मेदारी का होता. अभी तक मैं इसी पर ध्यान दे रहा था. आगे जो मुझे ओहदा दिया जाएगा. उस पर आगे ध्यान दिया जाएगा. जब तक मैं हैंडओवर चार्ज नहीं करता जब तक मैं सेना प्रमुख ही हूं. उसी पर मेरा ध्यान है. मैं आप सभी को भी धन्यवाद देता हूं. आप सभी ने मुझे काफी सपोर्ट किया. अब मैं आशा करता हूं कि आगे भी आप जनरल नरवाने को भी ऐसे ही सपोर्ट करेंगे.’

साउथ ब्लॉक जनरल बिपिन रावत को उनके रिटायरमेंट पर गार्ड ऑफ ऑनर दिय गया.

जनरल बिपिन रावत ने आज अपने रिटायरमेंट डे पर नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. जनरल रावत 1 जनवरी से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पदभार संभालेंगे.

बता दें कि बिपिन रावत के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने आज (31 दिसंबर) को देश के 28वें आर्मी चीफ का कार्यभार ग्रहण करेंगे. फिलहाल वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ के पद पर तैनात नरवाने जनरल बिपिन रावत का स्‍थान ग्रहण करेंगे. जनरल रावत का तीन साल का कार्यकाल आज समाप्‍त हो रहा है. नरवाने के सेना प्रमुख का पद संभालने के साथ ही सेना के तीनों अंगों के प्रमुख नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA) के एक ही बैच के होंगे. एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया, नेवी चीफ एडिमरल करमबीर सिंह और एमएम नरवाने एनडीए के 56वें कोर्स के बैचमेट हैं.

जनरल रावत देश के पहले सीडीएस बनाए हैं. सरकार ने 24 दिसंबर को आधिकारिक तौर से सीडीएस बनाने की घोषणा कर दी थी. सीडीएस फोर स्टार जनरल होगा और वह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेगा और सरकार (राजनैतिक नेतृत्व) को सैन्य मामलों पर सलाह देगा. सरकार ने साफ कर दिया कि सीडीएस सीधे तौर से थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कमांड और यूनिट्स को कंट्रोल नहीं करेगा. लेकिन उसके अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे. 

सीडीएस की भूमिका?
भारत का पहला तीनों सेनाओं का अध्यक्ष यानी सीडीएस रक्षा मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स का मुखिया होंगे. सीडीएस  रक्षामंत्री से रक्षा मामलों से जुड़े मसलों पर सीधे संपर्क कर सकेगा और राय दे सकेगा. तीनों सेनाओं की सारी सम्मिलित कमान यानी ट्राइ सर्विस कमांड अब सीडीएस के अधीन होंगी. करगिल युद्ध के बाद कारगिल रिव्यू कमेटी और नरेश चंद्रा कमेटी ने सीडीएस की सिफारिश की थी. 

सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल
इससे तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल का साथ-साथ रक्षा बजट का उचित इस्तेमाल हो सकेगा. तीनों सेनाओं के ऑफिसरों का ट्रेनिंग स्कूल यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी सीडीएस की कमान में होगा. इसके अलावा आर्म्ड फोर्सेज़ मेडिकल सर्विस, इंजीनियरिंग सर्विस और नेशनल डिफेंस कॉलेज भी सीडीएस  की कमान में होगा. सैनिक संचार के लिए जिम्मेदार सिग्नल ऑफिसर इंचार्ज भी सीडीएस (CDS) को रिपोर्ट करेगा. इसी साल बनाई गईं तीनों सेनाओं की साझा कमान स्पेशल ऑपरेशन डिविज़न, डिफेंस साइबर एजेंसी और डिफेंस स्पेस एजेंसी भी सीडीएस को रिपोर्ट करेंगी.

भविष्य की रणनीति बनाएंगे
सीडीएस को सबसे प्रमुख जिम्मेदारी भविष्य की रणनीति बनाने की होगी. भविष्य में तीनों सेनाओं की सम्मिलित कमान यानी थियेटर कमान की योजना बनाने का काम भी सीडीएस करेगा. तीनों सेनाओं को मिलने वाले बजट का उचित इस्तेमाल करने के लिए सीडीएस डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल यानि डीएसी का सदस्य होगा.

डीएसी सारे रक्षा जरूरतों को पूरा करती है और सारे सौदे करती है. तीनों सेनाओं के पास मौजूद संसाधनों को अब आपस में बांटा जा सकेगा और सीडीएस तीनों सेनाओं के पास मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरणों के उचित इस्तेमाल के लिए भी ज़िम्मेदार होगा.

Bureau Report

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