सीतापुर: लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, एक छोटा-सा गांव इस समय संकट में है. रातों-रात यह गांव और यहां के निवासी बाहरी लोगों के लिए उपहास का विषय बन गए हैं, क्योंकि इस गांव का नाम – कोरौना है, जो कि घातक वायरस कोरोना के समान लगता है.
स्थानीय निवासी राजू त्रिपाठी ने कहा, “यहां तक कि हमारे रिश्तेदार भी नाम में इस समानता के कारण गांव के नाम का मजाक उड़ा रहे हैं. वे हमसे कहते हैं कि वे कोरौना नहीं जाएंगे. यदि हम किसी अजनबी को बताते हैं कि हम कहां रहते हैं तो वह हंसकर हमें देखता है. एक अनजान व्यक्ति ने मेरे फोन पर कॉल किया और कहा, ‘आप अभी भी जीवित कैसे हैं?’ – जब मैंने उसे बताया कि मैं कोरौना से बोल रहा हूं.”
संयोग से कोरौना 84-कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव है. हर साल होली के त्योहार के एक पखवाड़े बाद, हजारों लोग इस परिक्रमा में शामिल होते हैं.
एक स्थानीय किसान गोकुल ने कहा, “गांव का नाम दशकों से मौजूद है, लेकिन अचानक ही हमें इस तरह नीचा माना जा रहा है.”
मिश्रिख तहसील में स्थित इस गांव की आबादी लगभग 9,000 है. इस गांव में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय और अन्य सुविधाएं भी हैं. वास्तव में, यह राज्य के बेहतर विकसित गांवों में से एक है.
गोकुल ने कहा कि एक बार लॉकडाउन खत्म हो जाने के बाद, ग्रामीण एकत्र होंगे और सरकार से गांव का नाम बदलने का अनुरोध करेंगे.
उन्होंने कहा कि कोरौना का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है. कोरोना वायरस की याद लंबे समय तक रहने वाली है. आने वाले वर्षों में उपहास उड़वाने की बजाय नाम बदलने का विकल्प चुनना बेहतर होगा.
संयोग से, कोरौना अभी भी कोरोना वायरस से सुरक्षित है.
Bureau Report
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