काठमांडू: नेपाल में कोरोना का प्रकोप बरकरार है, लेकिन सरकार उससे निपटने के बजाए भारत के साथ सीमा विवाद को बेवजह तूल देने में लगी है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को लगता है कि विवादित नक्शे को संसद में पास करवाकर उन्होंने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है, मगर जनता ऐसा नहीं मानती. लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है. वह कोरोना से निपटने में सरकार की लचर रणनीति और भारत से बिगड़ते संबंधों को लेकर सरकार से खफा हैं.
पिछले कुछ दिनों में नेपाल के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. इन प्रदर्शनों में युवाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और ‘बस बहुत हुआ’ नारे के साथ कोरोना से निपटने को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए. नेपाल के लोगों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब ओली सरकार को कोरोना से निपटने के इंतजामों पर ध्यान देना चाहिए, वह भारत के साथ बेवजह के विवाद को तूल देने में लगी है.
लोग मधुर संबंधों के पक्षधर
काठमांडू निवासी सुशील मगर ने कहा, ‘भारत हमारा पड़ोसी राष्ट्र है और दोनों देश एकजुट रहें तो अच्छा होगा’. वैसे, सुशील ही अकेले नहीं हैं जो भारत के साथ मधुर संबंधों के पक्षधर हैं. नेपाल के अधिकांश लोग नई दिल्ली का साथ चाहते हैं. वह ओली सरकार के विवादित नक्शे से सहमत नहीं हैं और न ही उन्हें चीन का बढ़ता दखल पसंद आ रहा है. गौरतलब है कि नेपाल ने विवादित नक्शे में भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपना बताया है.
लद्दाख की घटना के विरोध में प्रदर्शन
लद्दाख की घटना के विरोध में भी नेपाल में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के बाहर गुरूवार को लोगों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि युद्ध अपराध की तरह है लिहाजा चीन को युद्ध छोड़कर शांति को बढ़ावा देना चाहिए. इस प्रदर्शन से कहीं न कहीं यह साफ होता है कि दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह नेपाली भी यह स्वीकारते हैं कि लद्दाख में जो कुछ हुआ उसके लिए चीन पूरी तरह से दोषी है.
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कई जगहों पर वॉटर केनन इस्तेमाल किया गया, जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. सरकार की इस कार्रवाई को लेकर भी लोगों में गुस्सा है.
आंखें मूंदें बैठी सरकार
नेपाल में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. लेकिन ओली सरकार आंखें मूंदें बैठी है, उसका पूरा ध्यान केवल भारत के साथ सीमा विवाद को हवा देने पर है. नेपाल के रुख में यह बदलाव चीन और पाकिस्तान की साजिशों का नतीजा है. भले ही प्रधानमंत्री ओली को चीन अपने सबसे अच्छे दोस्त के रूप में नजर आ रहा हो, लेकिन धोखा देना चीन की फितरत है और जल्द ही उन्हें इसका अहसास हो जाएगा. नेपाली जनता इसे बखूबी समझती है, इसलिए वह सरकार के भारत विरोधी फैसलों के खिलाफ है.
Bureau Report
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