Happy Ganesh Chaturthi 2020: आज गणेश चुतर्थी पर दोस्तों को ये शुभकामना संदेश.

Happy Ganesh Chaturthi 2020: आज गणेश चुतर्थी पर दोस्तों को ये शुभकामना संदेश.नईदिल्ली: आज गणेश चुतर्थी है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए हर वर्ष यह पर्व भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुत आस्था के साथ मनाया जाता है। 10 दिन बाद अनन्त चतुर्दशी के दिन गणेशोत्सव समाप्त होता है। इस दिन श्रद्धालु धूमधाम के साथ सड़कों पर ढोल बजाते, नाचते-गाते हुए भगवान गणेश की मूर्ति का सरोवर, नदी आदि में विसर्जन करते हैं। वेद विद्यालय हनुमात सेतु के वेदाचार्य गोविंद कुमार शर्मा के अनुसार इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का जन्म मध्यान्ह में हुआ था। ऐसे में इस दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर यथोपलब्ध सामग्री दूर्वा एवं मोदक से पूर्जा अर्चना की जानी चाहिए। एसएस नागपाल के मुताबिक चतुर्थी तिथि 21 को रात्रि 11.02 से शुरू होकर 22 अगस्त शाम 07:56 तक रहेगी। इस शुभ अवसर पर आप अपने दोस्तों और करीबियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दे सकते हैं। 

 
गणेश चतुर्थी शाम 7:57 बजे तक है और हस्त नक्षत्र भी शाम 7:10 बजे तक है। इस दिन चौघड़िया मुहूर्त शुभ है। 22 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 48 मिनट तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया है।भगवान गणेश को गजानन, बप्पा, विघ्नहर्ता या एकदंत भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर श्रीगणेश एकदंत क्यों कहलाए। जानिए इस रोचक कथा के बारे में।

गजानन की कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती स्नान के लिए चली गईं और उन्होंने द्वार पर गणेश जी को बैठा दिया। माता पार्वती ने गणेश जी से कहा था कि जब तक उनकी इजाजत न हो, वह किसी को अंदर न आने दें। तभी वहां पर भगवान शिव का आगमन हुआ। भगवान शिव ने प्रवेश की कोशिश की तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती बाहर निकलीं तो यह देखकर व्याकुल हो उठीं और उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को बचाने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया।

परशुराम ने तोड़ दिया था गणेशजी का एक दांत-
भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी को भी न आने दें। तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए। लेकिन गणेश जी से भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया। इस पर परशुराम जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*