सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के बीच क्या है विवाद? 10 प्वाइंट में समझें पूरी कंट्रोवर्सी

सोशल मीडिया कंपनियों और सरकार के बीच क्या है विवाद? 10 प्वाइंट में समझें पूरी कंट्रोवर्सी

नईदिल्‍ली: भारत सरकार के नए आईटी नियमों के खिलाफ फेसबुक के मालिकाना हक वाला मैसेजिंग ऐप व्‍हाट्सऐप कोर्ट अदालत पहुंच गया है. वहीं सरकार ने सभी कंपनियों को नोटिस भेजकर पूछा है कि नियम का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया?

क्या है सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद

सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच नए आईटी नियमों (IT Rules) को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. इस बीच सोशल मीडिया पर यह चर्चा भी खूब हो रही है कि नए आईटी नियमों के नहीं मानने पर फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स बंद हो सकते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये विवाद क्या है?

10 प्वाइंट में समझें पूरी कंट्रोवर्सी

1. सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद नए आईटी नियमों की वजह से शुरू हुआ है, जिन्हें भारत सरकार ने 26 मई से लागू कर दिया है. नए नियमों के अनुसार, व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए भेजे और शेयर किए जाने वाले मैसेजेस के ओरिजनल सोर्स को ट्रैक करना जरूरी है. यानी अगर कोई गलत या फेक पोस्ट वायरल हो रही है तो सरकार कंपनी से उसके ऑरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है और सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि उस पोस्ट को सबसे पहले किसने शेयर किया था.

2. नए नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. इसके लिए कंपनियों को तीन अधिकारियों (चीफ कॉम्प्लियांस ऑफिसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस ऑफिसर) को नियुक्त करना होगा. ये अधिकारी भारत के ही रहने वाले होने चाहिए और इनका कॉन्टेक्ट नंबर सोशल मीडिया वेबसाइट के अलावा ऐप पर होना अनिवार्य है, ताकि लोग शिकायत कर सकें. इसके साथ ही अधिकारियों के लिए शिकायत का अपडेट देने के लिए 15 दिनों समयसीमा भी तय की गई है. कंपनियों को पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा गया है.

3. नए आईटी नियमों का सरकार ने बचाव किया है और कहा है कि इसमें किसी के निजता का हनन नहीं होता है. सरकार का कहना है कि नए आईटी नियमों के तहत देश की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था और देश की सुरक्षा से जुड़े ‘बेहद गंभीर अपराध’ वाले संदेशों को रोकने या उसकी जांच के लिए ही उनके मूल स्रोत की जानकारी मांगने की जरूरत है.

4. नए आईटी नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गई थी और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को इसे लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था. नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकती है.

5. व्हाट्सऐप ने नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में केस दायर कर नियमों को रोकने की मांग की गई है. व्हाट्सऐप का कहना है कि नए नियमों से यूजर्स की प्राइवेसी प्रभावित होगी. ये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों के निजता के अधिकार को मौलिक रूप से कमजोर कर देगा.

6. अब सवाल है कि नए नियमों को मानने से व्हाट्सऐप को क्या नुकसान होगा. दरअसल, नए नियमों के तहत व्हाट्सऐप को यूजर्स के सभी मैसेजेस को ट्रेस करना होगा और ऐसा करने से लोगों का Whatsapp से भरोसा उठ जाएगा. व्हाट्सऐप का कहना है कि चैट ट्रेस करना एक तरह से वैसे ही है जैसे हमारे यूजर्स के फिंगरप्रिंट की जानकारी मांगी जा रही हो.

7. नए आईटी नियमों से आम लोगों को क्या नुकसान होगा? आपको बता दें कि नए नियमों के अनुसार, व्हाट्सऐप को सभी मैसेजेस को ट्रेस करना होगा और यूजर्स के सभी प्राइवेट मैसेजेस का हिसाब कंपनी के पास रहेगा. इसके साथ ही सोशल मीडिया कंपनिया यूजर्स का और भी ज्यादा डेटा कलेक्ट करेंगी.

8. अगर कंपनियां नए नियमों को नहीं मानती हैं तो उन पर मौजूदा आईटी एक्ट के तहत ही ऐक्शन होगा. हाल ही में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि ये कोई कानून नहीं है और ये सिर्फ गाइडलाइन हैं. अगर सोशल मीडिया कंपनियां नई गाइडलाइन को फॉलो नहीं करती हैं तो उन पर मौजूदा आईटी कानून के तहत ही कार्रवाई होगी.

9. नए आईटी नियमों के खिलाफ व्हाट्सऐप कोर्ट पहुंच गई है, लेकिन गूगल और फेसबुक का कहना है कि वे नए नियमों का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. फेसबुक ने कहा कि हम नए नियमों का पालन करने के लिए सुधार करने की ओर काम कर रहे हैं.

10. माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने केंद्र सरकार की तरफ से नई गाइडलाइन को लागू करने के लिए छह महीने का समय मांगा है. वहीं भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट Koo App ने सरकार की गाइडलाइन को लागू कर दिया है.

Bureau Report

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