बजट सत्र का बहिष्कार कर सकते हैं विपक्षी! वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवैधानिक जरूरत बताई

बजट सत्र का बहिष्कार कर सकते हैं विपक्षी! वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवैधानिक जरूरत बताईनईदिल्ली: 5 राज्यों के चुनावों की तैयारियों के बीच 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट का बहिष्कार करने पर विपक्षी दल गंभीरता से विचार कर रहे हैं। कांग्रेस समेत 16 बड़ी विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार तय वक्त से पहले बजट लाकर यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में फायदा लेना चाहती है और केन्द्र सरकार को बजट पेश करने से रोका जाए।

विपक्ष का आरोप है कि केन्द्र सरकार राज्यों के चुनाव में फायदा लेने के लिए बजट तय समय से 3 हफ्ते पहले पेश किया जा रहा है।  जिन लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद, सीपीआई(एम) के सीताराम येचुरी, सपा के राम गोपाल यादव और जदयू के शरद यादव शामिल हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी इस मुद्दे पर अभी भी दुविधा में हैं कि 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट की तारीख को आगे बढ़ाया जाए या नहीं। जैदी ने कहा कि हमें बजट को रोकने को लेकर एक खत मिला है। और हम इस मसले पर विचार कर रहे हैं। जल्दी ही इस पर कोई फैसला लेंगे। 

वहीं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों टीएस कृष्णमूर्ति और एन. गोपाल स्वामी के मुताबिक, उल्लंघन का मामला तब बनता जब लोकसभा के चुनाव हो रहे होते। विधानसभा के चुनाव लोकसभा के चुनाव नहीं हैं। अगर पूरे देश के लिए किसी रियायत की घोषणा होती है तो यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होगा।

इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 2014 में भी ऐसा हुआ था तब किसी ने इसका विरोध नहीं किया था। बजट पेश करना संवैधानिक जरूरत है। लोकसभा चुनाव-2014 से भी पहले अंतरिम बजट पेश हुआ था और इससे पहले भी चुनाव से पहले बजट पेश होते रहे हैं।

Bureau Report

 

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