छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: इन 15 मुद्दों पर होगा सियासी संग्राम

छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: इन 15 मुद्दों पर होगा सियासी संग्रामनईदिल्‍ली: छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के सिरायसी रण में उतरने को तैयार राजनैतिक दलों ने अपने-अपने मुद्दों को धार देना शुरू कर दिया है. सूबे में फिलहाल बीते 15 सालों से डॉ. रमण सिंह के नेतृत्‍व वाली बीजेपी सरकार चल रही है. छत्‍तीसगढ़ में बीजेपी की सत्‍ता कायम रखने के लिए मुख्‍यमंत्री डॉ. रमण सिंह ने योजनाओं की झडी लगा रखी है.

वहीं, छत्‍तीसगढ़ की सियासी गद्दी पर अपना कब्‍जा जमाने के लिए विपक्षी दलों ने हर उस मुद्दे को कुरेदना शुरू कर दिया है, जिसकी मदद से बीजेपी को सत्‍ता से बेदखल किया जा सकता है. चुनाव प्रचार के दौरान, कोई राजनैतिक दल शिक्षा, चिकित्‍सा और आधारभूत ढांचे को आधार बना रहा है तो कोई नक्‍सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के ऑपरेशन को अपना चुनावी मुद्दा बना रहा है.  

कांग्रेस ने चुने हैं ये 8 मुद्दे
छत्‍तीसगढ़ की सत्‍ता और कांग्रेस के बीच बीते 15 सालों से दूरियां बनी हुई है. आगामी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने 8 मुद्दों का चुनाव किया है. इन मुद्दों के जरिए कांग्रेस न केवल बीजेपी को घेरने का प्रयास करेगी, बल्कि इन्‍हीं मुद्दों को अपनी जीत का आधार बनाएगी. सूत्रों के अनुसार, 5 वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू नही किए जाने को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेरने का प्रयास कर रही है.

इसके अलावा, वन अधिकार कानून, स्वास्थ्य सुविधा, डॉक्टर्स की नियुक्ति, शिक्षकों की कमी, मक्का और लघु वनोपज प्रसंस्करण आदि मुद्दों के जरिए कांग्रेस मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने में जुटी है. इसके अलावा, कांग्रेस दूरदराज के गांवों को मुख्‍य मार्ग से जोड़ने के लिए संपर्क मार्ग और पुलों के निर्माण का मुद्दा भी उठा रही है.

जोगी को है आदिवासी इलाकों से आस
2016 में कांग्रेस से नाता तोड़ चुके अजीत जोगी अब बीजेपी के लिए ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुके हैं. जोगी-कांग्रेस का गठन करने वाले अजीत जोगी को सबसे बड़ी आस छत्‍तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों से है. कांग्रेस से अलग होने के बाद अजीत जोगी लगातार इन इलाकों का दौरा कर अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं.

उन्‍होंने अपने इलाके के मतदाताओं को भरोसा दिलाया है कि जोगी-कांग्रेस की सरकार बनने पर वह आदिवासियों के हितों को सर्वोपर‍ि रखेंगे. इसके अलावा, आदिवासियों की जमीन, जंगल और पानी की रक्षा करना सरकार की पहली जिम्‍मेदारी होगी. आदिवासी इलाकों को सही प्रतिधित्‍व मिल सके, इसके लिए वह सरगुजा और बस्‍तर से अलग-अलग उपमुख्‍यमंत्री बनाएंगे. 

हमदर्दी का मरहम लेकर आई आप
छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में अपना भाग्‍य आजमाने की तैयारी में जुटे राजनैतिक दलों में आम आदमी पार्टी भी शामिल है. आगामी चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आम आदमी पार्टी ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी को अपना चेहरा बनाया है. आम आदमी पार्टी आदिवासियों की कथित हत्‍या, महिलाओं से अत्‍याचार और कथित फर्जी मुठभेड़ों का मुद्दा लेकर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है.

इसके अलावा, बीजेपी की सरकार को घेरने के लिए आम आदमी पार्टी उन योजनाओं को तलाशना शुरू कर दिया है, जिनकी बीते सालों में घोषणा तो की गई लेकिन अभी तक वे योजनाएं जमीन पर नहीं आ सकी हैं. 

Bureau Report

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