नईदिल्ली: फर्जी बिल बनाकर सरकार के पास इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा ठोकने वालों की अब खैर नहीं. टैक्स अधिकारी जल्द ही उन मामलों की जांच शुरू कर सकते हैं, जिनमें इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए धड़ाधड़ दावे ठोके जा रहे हैं. मामला सीधा है और सरकारी खजाने से जुड़ा है. GST कलेक्शन में तेजी से गिरावट आ रही है और अधिकारी इससे परेशान हैं. टैक्स कलेक्शन क्यों गिर रहा है, इसके कारणों की जांच के लिए एक मंत्री समूह गठित किया गया है. जब इस मंत्री समूह की बैठक हुई, तब इस बात की संभावना पाई गई कि, कुछ कारोबारी नकली बिल के जरिए इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा ठोक रहे हैं. इसी वजह से जो टैक्स कलेक्शन है, उसमें से बड़ी राशि इनपुट क्रेडिट के तौर पर वापस जा रही है.
80% इनपुट टैक्स क्रेडिट
वित्त वर्ष 2018-19 में GST का औसत मासिक कलेक्शन 96,000 करोड़ रुपए रहा है. कुल जीएसटी देनदारी में से 80 प्रतिशत का निपटान इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए होता है. मात्र 20 प्रतिशत टैक्स ही नकद रूप से जमा कराया जाता है. सूत्रों ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा दाखिल करने और उनका मिलान करने में काफी समय का अंतर है, ऐसे में संभावना है कि कुछ दावे नकली बिलों के आधार पर किए जा रहे हों. एक बार रिटर्न फाइल करने की नई प्रणाली आ जाए तो अधिकारियों के पास एक्चुअल टाइम में दावों का मिलान करने की सुविधा रहेगी. सूत्रों ने कहा कि राजस्व विभाग अब ITC के दावों की अधिक संख्या में जांच करेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि दावे सही हैं या फर्जी.
कब कितना GST कलेक्शन (2018-19)?
अप्रैल | ₹1.03 लाख करोड़ |
मई | ₹94,016 लाख करोड़ |
जून | ₹95,610 करोड़ |
जुलाई | ₹96,483 करोड़ |
अगस्त | ₹93,960 करोड़ |
सितंबर | ₹94,442 करोड़ |
अक्तूबर | ₹1,00,710 करोड़ |
नवंबर | ₹97,637 करोड़ |
दिसंबर | ₹94,726 करोड़ |
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