2016 सर्जिकल स्‍ट्राइक : ‘पिछले एक साल से स्पेशल फोर्सेज को इसके लिए तैयार किया जा रहा था…’

2016 सर्जिकल स्‍ट्राइक : 'पिछले एक साल से स्पेशल फोर्सेज को इसके लिए तैयार किया जा रहा था...'पणजी: साल 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की अगुवाई कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार ने सेना को सीमा पार हमले करने की अनुमति देने में एक बड़ा संकल्प दिखाया है, लेकिन उससे पहले भी भारतीय सेनाके हाथ कभी बंधे हुए नहीं थे. हुड्डा यहां विज्ञापन संगठनों द्वारा आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम ‘गोवा फेस्ट’ में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा, “मौजूदा सरकार ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में हवाई हमले की अनुमति देने में निश्चित रूप से एक बड़ा राजनीतिक संकल्प दिखाया है, लेकिन इससे पहले भी आपकी सेना के हाथ बंधे हुए नहीं थे.” उन्होंने कहा, “सेना को खुली छूट देने के बारे में बहुत ज्यादा बातें हुई हैं, लेकिन 1947 से ही सेना सीमा पर स्वतंत्र है. इसने तीन-चार युद्ध लड़े हैं.” 

हुड्डा ने कहा, “नियंत्रण रेखा एक खतरनाक जगह है, क्योंकि जैसा कि मैंने कहा कि आपके ऊपर गोलीबारी की जाती है और मोर्चे पर मौजूद सैनिक इसका तुरंत जवाब देते हैं. वे (सैनिक) मुझसे भी नहीं पूछेंगे. कोई अनुमति लेने का कोई सवाल ही नहीं है. सेना को खुली छूट दी गई है और यह हमेशा से होता रहा है, इसका कोई विकल्प नहीं है.” हुड्डा ने सैन्य अभियानों पर सबूत मांगने वाले बयानों की भी निंदा की. 

उन्होंने कहा, ‘‘कृपया अपने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों पर भरोसा रखें. सैन्य अभियानों के महानिदेशक जब खुले तौर पर यह कहते हैं कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक किया तो जाहिर तौर पर इसमें शक करने जैसा कोई कारण नहीं है.’’ 

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि सशस्त्र बलों ने किसी भी सरकार के समय में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं देखा है. ‘‘सैन्य मामलों में दखल रखने वाले के तौर पर मैं पूरी तरह निष्पक्षता और ईमानदारी से कह सकता हूं कि सैन्य अभियान किस तरह चलाए जाएं इस बारे में कभी राजनीतिक नेताओं ने ज्यादा दखलंदाजी नहीं की .किसी ने नहीं कहा कि हमें नियंत्रण रेखा पर किस तरह का व्यवहार करना है और यही आपको करना चाहिए.’’ 

हुड्डा ने सितंबर 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद सीमा-पार सर्जिकल स्ट्राइक के समय सेना की उत्तरी कमान की अगुवाई की थी. हुड्डा अब राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस के कार्यबल का नेतृत्व कर रहे हैं. 

हुड्डा ने उरी आतंकी हमले को याद करते हुए कहा, ‘‘उस शाम, मैं चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के साथ था. और हम तंबुओं की राख की चार इंच मोटी परत से गुजरते हुए कह रहे थे कि हमें कुछ करना है, हम इसे ऐसे ही जाने नहीं दे सकते.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम विकल्पों के बारे में बात कर रहे थे, तब हमें इस बात ने मदद की कि पिछले एक साल से हम ऐसी किसी आकस्मिक स्थिति के लिए प्रशिक्षण में जुटे थे. हम नहीं जानते थे कि यह मौका कब आएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘(उरी हमले से पहले) पिछले एक साल से स्पेशल फोर्सेज को इसके लिए तैयार किया जा रहा था…यदि हमें सीमा पार पाकिस्तान में धावा बोलना हो, तो हमें क्या करना होगा. ’’ 

हुड्डा ने कहा, ‘‘ जब हम सैनिकों को सीमा पार जाते हुए और आतंकवादियों को निशाना बनाकर वापस लौटते हुए देखते हैं तो इसका मतलब यह है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में सिर्फ काम, काम और काम किया है. सेना में हम कहते हैं कि शांतिकाल में आप जितना पसीना बहाओगे, युद्ध के दौरान आपका खून उतना ही कम बहेगा.’’ 

हुड्डा ने कहा, ‘हमने सीमा पार पांच आतंकी शिविरों को निशाना बनाने का फैसला किया. यह बेहद पेचीदा अभियान था. यह दुनिया की सबसे ज्यादा चाक चौबंद सीमा है. हमने इसके पार जाने का निर्णय लिया, जहां पर आतंकवादियों के शिविर हैं. हमने उन्हें निशाना बनाने और वापस आने का निर्णय लिया.’’ 

उन्होंने कहा कि सेना बेहद ‘आत्मविश्वासी’ थी क्योंकि सुरक्षाबलों को बेहतरीन प्रशिक्षण मिला था. हुड्डा ने कहा, ‘‘ और सच कहूं तो मैंने सलाह पर काफी भरोसा किया. शीर्ष स्तर पर फैसले लेने के लिए आप अकेले होते हैं और अगर आप सलाह लेने से बचते हैं तो हो सकता है कि आप गलत फैसले लें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें अलग-अलग समय पर निशाना लगाना था.’’ 

हुड्डा ने कहा, ‘‘27 सितंबर की रात में (सर्जिकल स्ट्राइक से दो दिन पहले) हमें यह सूचना मिली कि इनमें से एक आतंकी शिविर को मजबूत बनाकर सक्रिय किया गया. हम यह सोच रहे थे कि हमें इसे निशाने वाली सूची में रखना चाहिए या नहीं.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद हमने चार से पांच लोगों की एक छोटी टीम भेजने और अपने निशाने पर ध्यान केंद्रित रखने का फैसला किया. हमने खतरे उठाने का फैसला किया, क्योंकि यह जरूरी था. ये वैसे लोग थे जिन्होंने अगले दिन हमें रास्ता दिखाया.’’ 

हुड्डा ने कहा, ‘‘ हमने पहले निशाने पर करीब मध्यरात्रि में वार किया और अंतिम निशाने पर हमने सुबह छह बजे निशाना लगाया. इन दोनों निशानों के बीच छह घंटे का अंतर था. निश्चित रूप से पहला निशाना लगने के बाद हम चिंतित थे कि पाकिस्तान की सेना सक्रिय हो सकती है और सोच सकती है कि दूसरी जगहों को भी निशाना बनाया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सौभाग्य से हमने उन्हें चकित कर दिया.’’

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*