Ghulam Nabi Azad: कैप्टन की तर्ज पर बेटे संग नई पार्टी बनाएंगे आजाद, जानें भाजपा के लिए कितना नफा-नुकसान

Ghulam Nabi Azad: कैप्टन की तर्ज पर बेटे संग नई पार्टी बनाएंगे आजाद, जानें भाजपा के लिए कितना नफा-नुकसान

कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के साथ ही आजाद ने यह भी साफ कर दिया है कि वह नई पार्टी बनाएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आजाद का यह कदम पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह ‘कैप्टन पार्ट 2’ का एक बड़ा हिस्सा माना जा रहा है। यह राजनीतिक पारी गुलाम नबी आजाद अपने बेटे सद्दाम के साथ मिलकर शुरू करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुलाम नबी आजाद कि कश्मीर में पकड़ का फायदा भाजपा को जबरदस्त रूप से मिल सकता है। यह बात अलग है कि चुनाव भले भाजपा के सिंबल पर न लड़ा जाए, लेकिन भाजपा और गुलाम नबी के बीच राजनीतिक समझौते की संभावनाएं जबरदस्त तरीके से बढ़ गई हैं।

कही पार्टी बनाने की बात

इस्तीफे के बाद सबसे ज्यादा कयास यही लगाए जा रहे थे कि गुलाम नबी आजाद का अगला कदम क्या होगा। गुरुवार को गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा देने के बाद जम्मू-कश्मीर की आवाम से कहा है कि वह अब अपने राज्य की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं एक निजी चैनल से बातचीत में आजाद ने कहा कि वे जल्द ही अपनी नई पार्टी का एलान करेंगे। जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार हुसैन जहांगीर कहते हैं कि कश्मीर में तमाम राजनीतिक संगठनों और बड़े नेताओं के बीच में गुलाम नबी आजाद की स्वीकार्यता जितनी है, उतनी शायद ही किसी दूसरे नेता की हो। जहांगीर कहते हैं यह बात अलग है कि कांग्रेस अपनी लचर नीतियों के चलते कश्मीर में बहुत बेहतर नहीं कर सकी, लेकिन अब कांग्रेस से आजाद होने के बाद गुलाम नबी आजाद कर सकते हैं। वे कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में अगले कुछ महीनों के भीतर ही चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर गुलाम नबी आजाद अब कश्मीर में अपनी नई सियासी पारी पूर्ण रूप से स्वतंत्र होकर कर सकते हैं।

हालांकि जहांगीर कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद खुद में एक बहुत बड़ी शख्सियत और स्वयं में बड़े “राजनीतिक दल” सरीखे हैं। जहांगीर कहते हैं कि यह बिल्कुल तय है कि गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर में अपने स्तर पर न सिर्फ राजनीतिक संगठन खड़ा कर सकते हैं बल्कि चुनाव में बहुत बड़ी भूमिका अदा करने वाले हैं।

लगातार मिल थे घाटी के लोगों से

लंबे समय से कश्मीर में राजनीति और गुलाम नबी आजाद के पूरे राजनीतिक सफर को करीब से देखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एसएन कॉल कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद अपने बेटे सद्दाम के साथ कश्मीर में एक नई पार्टी खड़ी कर आने वाले चुनावों में जम्मू-कश्मीर में सभी विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गलियारों में भी इसी बात की हलचल शुरू हो गई है। जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि जिस तरीके से गुलाम नबी आजाद का बीते कुछ समय से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं से न सिर्फ संपर्क हो रहा था और उनकी बीमारी के दौरान जम्मू-कश्मीर की स्थानीय आवाम का दिल्ली आवास पर मिलना जुलना बढ़ गया था, उससे इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि आने वाले चुनावों में गुलाम नबी आजाद की भूमिका जम्मू कश्मीर में बड़ी होने वाली है। हालांकि यह तय नहीं था यह भूमिका कांग्रेस पार्टी की ओर से होगी या उनकी खुद की अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक पारी की ओर से इस को शुरू किया जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार जहांगीर का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद स्वतंत्र रूप से पार्टी बनाकर चुनावी क्षेत्र में अपने राजनैतिक अनुभव का बड़ा फायदा उठा सकते हैं।

राज्यसभा से विदाई के समय मोदी ने दिया था भावनात्मक भाषण

कांग्रेस से मुक्त होकर गुलाम नबी आजाद ने अपने पहले बयान में कहा कि वे जम्मू-कश्मीर की ओर रुख कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार इस बात के लिए भी गर्म है कि क्या गुलाम नबी आजाद की नई राजनीतिक पारी से जम्मू-कश्मीर में भाजपा को कोई बड़ा फायदा हो सकता है या नहीं। राजनीतिक विश्लेषक केडी चौधरी कहते हैं कि जिस तरीके से भाजपा ने गुलाम नबी आजाद को तवज्जो देनी शुरू की और पद्मभूषण जैसा बड़ा सम्मान दिया, तो माना जाने लगा था कि भाजपा और गुलाम नबी आजाद के बीच में नजदीकियां बढ़ रही हैं। चूंकि उन दिनों गुलाम नबी आजाद कांग्रेस से नाराज चल रहे थे, तो इन चर्चाओं को और बल मिलने लगा कि आजाद कांग्रेस से मुक्त होकर भाजपा के साथ कुछ बड़ा कर सकते हैं। सिर्फ यही नहीं अगर आप राज्यसभा का वह वीडियो देखें जिसमें गुलाम नबी आजाद की विदाई हो रही थी और देश के प्रधानमंत्री मोदी की आंखों में आंसू थे, वह भी गुलाम नबी आजाद और भाजपा के बीच में बनने वाली एक बड़ी बॉन्डिंग का काम कर रहा था। वह कहते हैं कि बीते कुछ दिनों के ऐसे रिश्तों की मजबूत हो रही डोर के चलते अब राजनैतिक रूप से गुलाम नबी आजाद और भाजपा की नज़दीकियां खुलकर बढ़ सकती है। चौधरी कहते हैं कि निश्चित तौर पर भाजपा को गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से आजाद होने का जम्मू कश्मीर के चुनावों में बड़ा फायदा मिलने वाला है।

मिल कर लड़ सकते हैं चुनाव!

कांग्रेस के एक नाराज वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जिस तरीके से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में पार्टी से अलग होकर अपनी एक नई राजनीतिक पार्टी बनाई थी। ठीक उसी तरीके से गुलाम नबी आजाद भी जम्मू-कश्मीर में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना रहे हैं। उक्त वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद जैसा कद्दावर नेता जिसकी जम्मू-कश्मीर में जबरदस्त पकड़ है वह आने वाले चुनावों में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। वे कहते हैं कि निश्चित तौर पर इससे कांग्रेस को न सिर्फ बड़ा झटका लगा है बल्कि भाजपा के लिए यह एक फायदे का इस्तीफा माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले विधानसभा के चुनावों में अब कई तरह के विकल्प सामने आ रहे हैं। विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा और गुलाम नबी आजाद मिलकर भी जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा दूसरा विकल्प अलग-अलग रह कर भी चुनाव लड़ा जा सकता है, जो कि विधानसभा के परिणामों के बाद आगे किसी बड़े राजनैतिक गठबंधन को अंजाम दिया जा सकता है।

Bureau Report

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