भारत: महान क्रांतिकारी भगत सिंह के लाहौर जेल में बिताए वक्त और उनसे जुड़े मुकदमों की फाइलें पाकिस्तानी सरकार सोमवार को सार्वजनिक करने जा रही है. भगत सिंह ने लाहौर जेल में बंदी के दौरान राजनीतिक कैदी घोषित किए जाने के बाद संबंधित सुविधाएं हासिल करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को जो खत लिखे थे, उनके अंत में कभी ‘आपका आभारी’ या ‘आपका आज्ञाकारी’ जैसे शब्द नहीं लिखे. पाकिस्तान के एक अधिकारी के मुताबिक इससे अत्याचार के समय भी उनके विद्रोह की झलक मिलती है. वो हमेशा अंत में सिर्फ अपना नाम लिखते थे. इस तरह के तमाम खत, किताबें, अखबार और भूमिगत होने के दौरान जिस होटल में ठहरे उस होटल के रिकॉर्ड भी प्रदर्शित किए जाएंगे.
इस संबंध में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार के मुख्य सचिव जाहिद सईद की अध्यक्षता में शीर्ष अधिकारियों की बैठक में इन फाइलों को सार्वजनिक करने का फैसला किया गया. इस मीटिंग में भगत सिंह को भारत और पाकिस्तान यानी दोनों ही मुल्कों का हीरो कहा गया.
पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘बैठक में फैसला किया गया कि भगत सिंह भारत और पाकिस्तान दोनों के स्वतंत्रता आंदोलन के हीरो थे. देश के लोगों को ब्रिटिश राज से आजादी पाने की खातिर उनके (भगत सिंह) और उनके साथियों की ओर से किए गए संघर्ष के बारे में जानने का हक है.’’ यह प्रदर्शनी लाहौर स्थित अनारकली मकबरे में होगी, जिसमें पंजाब के अभिलेख विभाग का दफ्तर है.
इन फाइलों को किया जाएगा सार्वजनिक
सोमवार को जिन मुकदमों की फाइलें प्रदर्शित की जाएंगी, उनमें अदालत के वे आदेश भी होंगे जिसके तहत भगत सिंह और उनके साथी राजगुरू एवं सुखदेव को दोषी ठहराया गया. ब्लैक वॉरंट और जेलर की वह रिपोर्ट भी प्रदर्शित की जाएगी जिससे उन्हें फांसी दिए जाने की पुष्टि हुई.
भगत सिंह जो किताबें, उपन्यास और क्रांतिकारी साहित्य पढ़ते थे, उन्हें भी प्रदर्शित किया जाएगा. वह जहां रहते थे उन जगहों के बारे में भी बताया जाएगा. ‘पंजाब ट्रैजेडी’, ‘जख्मी पंजाब’, ‘गंगा दास डाकू’, ‘सुल्ताना डाकू’, ‘दि एवोल्यूशन ऑफ सिन फाइन’ और ‘हिस्ट्री ऑफ दि सिन फाइन मूवमेंट’ जैसी किताबें भी प्रदर्शित की जाएंगी.
जब मोहम्मद अली जिन्ना ने दी श्रद्धांजलि
भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था. वह अविभाजित भारत के दौर में आजादी के लिए लड़े. भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी उनको क्रांतिकारी नायक का दर्जा दिया जाता है. इसी कड़ी में पाकिस्तान में पंजाब सरकार ने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों के ही हीरो हैं. इसको इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पाकिस्तान में उनको वहां के सर्वोच्च वीरता सम्मान निशान-ए-हैदर दिए जाने की मांग उठी है. इस संबंध में पाकिस्तान में एक भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की स्थापना की गई है. इस संगठन में इसी जनवरी में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार को ताजा याचिका देकर कहा कि भगत सिंह ने उपमहाद्वीप की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया था.
इसने अपने आवदेन में कहा, ‘‘पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने स्वतंत्रता सेनानी को यह कहते हुए श्रद्धांजलि दी थी कि उपमहाद्वीप में उनके जैसा कोई वीर व्यक्ति नहीं हुआ है.’’ संगठन ने कहा, ”भगत सिंह हमारे नायक हैं और वह मेजर अजीज भट्टी की तरह ही सर्वोच्च वीरता पुरस्कार (निशान-ए-हैदर) पाने के हकदार हैं जिन्होंने भगत सिंह की वीरता पर लिखा था और उन्हें हमारा नायक तथा आदर्श घोषित किया था.”
23 साल की उम्र में 23 मार्च को फांसी
भगत सिंह को 23 साल की उम्र में लाहौर में 23 मार्च,1931 को ब्रिटिश शासकों ने फांसी दे दी थी. उन पर अंग्रेज सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाया गया. ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सैंडर्स की हत्या के मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के खिलाफ केस दाखिल किया गया था.
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